हमारे देश में किसान आज भी बहुत पुरानी पारंपरिक तरीके से खेती करते हैं. इसमें जुताई, बीज, खाद, कटाई जैसे काम पारंपरिक रूप से हो रहे हैं. साथ ही खेतों में सिंचाई करने के लिए भी किसान कुएं, बोरवेल जैसे साधनों से सीधे पानी छोड़ते हैं. इससे पानी की बर्बादी भी होती है और कभी-कभी खेतों में नमी भी बढ़ जाती है. इस समस्या के पीछे किसानों पर आर्थिक भार भी है. क्योंकि पाइप से सिंचाई करने लायक उनके पास संसाधन नहीं होते,लेकिन इस समस्या को राजस्थान सरकार की सिंचाई पाइप लाइन सब्सिडी योजना थोड़ा कम जरूर करती है.
राजस्थान सरकार का इस योजना के पीछे उद्देश्य पानी की छीजत रोकना और खेतों को जरूरत मुताबिक पानी देना है. क्योंकि पाइप से सिंचाई करने पर 20-25 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है.
सिंचाई पाइप लाइन योजना में सब्सिडी लेने के लिए सिर्फ लघु और सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी है. उन्हें अन्य किसानों से अधिक अनुदान सरकार देती है. इसके तहत लघु एवं सीमान्त किसानों को इकाई लागत का 60 प्रतिशत या अधिकतम 18 हजार रुपए तक (जो भी कम हो) सहायता राशि दी जाती है.
इसके अलावा अन्य किसानों को इकाई लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 15 हजार रुपए (जो भी कम हो) सब्सिडी के रूप में दिए जाते हैं.
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सिंचाई पाइप लाइन योजना में सब्सिडी के लिए सरकार ने किसानों की पात्रता के लिए कुछ नियम भी बनाए हैं. इनमें पहली शर्त यही है कि जिस खेती के लिए किसान योजना में आवेदन कर रहा है, वह खेती उसके नाम से हो. साथ ही सिंचाई के साधन यानी कुएं, ट्यूबवैल पर बिजली, डीजल या ट्रैक्टर से चलने वाले पंप सेट होना भी जरूरी है.
सामलाती कुएं पर यदि सभी हिस्सेदार अलग-अलग पाइप लाइन पर अनुदान की मांग करते हैं तो उन्हें अलग-अलग सब्सिडी दी जाएगी, लेकिन इसके लिए भूमि का स्वामित्व भी अलग होना आवश्यक है. इसके अलावा सामलाती जल स्त्रोत होने की स्थिति में सभी साझेदार किसान अगर एक ही पाइप लाइन से सिंचाई करते हैं तब भी उन किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दी जाएगी.
पाइप लाइन के लिए किसान को किसी भी नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाना होगा. आवेदन के लिए आधार कार्ड या जनाधार कार्ड, जमाबंदी की नई नकल होना आवश्यक है. ऑनलाइन आवेदन के बाद रसीद भी ऑनलाइन प्राप्त होती है.आवेदन के बाद कृषि विभाग सत्यापन करता है.
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योजना में आवेदन के बाद पाइप लाइन की खरीद कृषि विभाग की स्वीकृति के बाद कृषि विभाग में पंजीकृत निर्माता या उनके अधिकृत वितरक विक्रेता से ही की जाएगी.
इसके बाद स्वीकृति की जानकारी मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से या उस क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक से मिलेगी. पाइप खरीदने के बाद कृषि विभाग इसका सत्यापन करेगा. इस प्रक्रिया के बाद किसान के खाते में सब्सिडी की राशि जमा की जाएगी.
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