Magel Tyala Scheme: वो स्‍कीम जिसकी वजह से गिनीज बुक में आया महाराष्‍ट्र का नाम, बना नया रिकॉर्ड 

Magel Tyala Scheme: वो स्‍कीम जिसकी वजह से गिनीज बुक में आया महाराष्‍ट्र का नाम, बना नया रिकॉर्ड 

कई किसानों का कहना है कि सोलर पंप लगाने के बाद उनकी फसलें समय पर सिंचित हो पाती हैं. पहले जहां उन्हें बिजली के इंतजार में रात-रात भर जगना पड़ता था, वहीं अब दिन में ही सिंचाई करके समय बचा पाते हैं. कई किसानों ने यह भी बताया कि सोलर पंप से उनकी सालाना बचत 15,000 से 30,000 रुपये तक हो रही है. 

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Magel Tyala Scheme: वो स्‍कीम जिसकी वजह से गिनीज बुक में आया महाराष्‍ट्र का नाम, बना नया रिकॉर्ड Maharashtra Solar Scheme

महाराष्‍ट्र ने 'मागेल त्याला सौर कृषि पंप' योजना के तहत एक महीने में 45,911 सोलर एग्रीकल्चर पंप लगाकर एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. राज्य की बिजली कंपनी MSEDCL ने कहा कि इस उपलब्धि को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक तौर पर मान्यता दी है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में MIDC में AURIC सिटी ग्राउंड में एक सर्टिफिकेट देने का कार्यक्रम हुआ. एक महीने में महाराष्‍ट्र ने 45,911 ऑफ-ग्रिड सोलर एग्रीकल्चरल पंप लगाए हैं. यह पूरी दुनिया में सबसे तेजी से होने वाले रिन्यूएबल इरीगेशन प्रोजेक्‍ट्स में से एक है और इस मामले में राज्य सिर्फ चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. 

30 दिनों में लगे इतने कनेक्‍शन 

PM-कुसुम और मागल त्याला सौर कृषि पंप योजना के तहत चलाया गया यह कैंपेन लगातार 30 दिनों में पूरा हुआ. गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक तौर पर इस डिप्लॉयमेंट को सर्टिफाई किया. इस उपलब्धि को छत्रपति संभाजीनगर में एनर्जी डिपार्टमेंट की तरफ से एक खास कार्यक्रम आयोजित करके मनाया गया. इसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, नए और रिन्‍यूबल एनर्जी अतुल सावे समेत कई लोग मौजूद थे. इस मौके मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह इंस्टॉलेशन ड्राइव एग्रीकल्चर एनर्जी एक्सेस में एक स्ट्रक्चरल बदलाव है. उन्‍होंने कहा, 'यह उपलब्धि सिंचाई सुरक्षा सुनिश्चित करती है, प्रोडक्टिविटी और किसानों की इनकम को बेहतर बनाती है और पारंपरिक एनर्जी सोर्स पर निर्भरता कम करती है. राज्य सरकार इस गति को बढ़ाने और महाराष्ट्र के हर किसान के लिए एक मजबूत, टिकाऊ और खुशहाल भविष्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.' 

किसानों के लिए क्‍यों खास है  

महाराष्‍ट्र में विशेष तौर पर मैगल त्याला जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना का प्रभाव तेजी से दिखाई दे रहा है. यहां के किसान लंबे समय से सिंचाई के लिए बिजली कटौती और डीजल की लागत से परेशान थे. सोलर एग्री पंप न सिर्फ किसानों के खर्च को कम करता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है.मैगल त्याला क्षेत्र में बिजली की कमी और अनियमित आपूर्ति आम समस्या रही है. रात में बिजली मिलने के कारण किसानों को असुरक्षित समय पर खेतों में जाना पड़ता था, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता था. सोलर कृषि पंप कई तरह की समस्याओं का समाधान करता है. सोलर एनर्जी दिन की रोशनी में उपलब्ध होती है. इसलिए किसान सुबह से शाम तक कभी भी पंप चला सकते हैं. इससे काम आसान हो जाता है और सुरक्षा भी बनी रहती है. 

नहीं आता बिजली का बिल 

एक बार पंप लगने के बाद किसानों को किसी भी तरह का बिजली बिल नहीं देना पड़ता, जो सालभर में हजारों रुपये बचाता है. इसके अलावा डीजल पंप चलाने में हर महीने भारी खर्च आता है. सोलर पंप इसे जीरो कर देता है. सोलर पंप कम रोशनी वाले दिनों में भी मिनिमम एनर्जी पैदा कर सकता है. इससे सिंचाई रुकती नहीं. साथ ही साथ लगातार सिंचाई होने से फसल वृद्धि बेहतर होती है, उपज बढ़ती है और गुणवत्ता में सुधार होता है. कई किसानों का कहना है कि सोलर पंप लगाने के बाद उनकी फसलें समय पर सिंचित हो पाती हैं. पहले जहां उन्हें बिजली के इंतजार में रात-रात भर जगना पड़ता था, वहीं अब दिन में ही सिंचाई करके समय बचा पाते हैं. कई किसानों ने यह भी बताया कि सोलर पंप से उनकी सालाना बचत 15,000 से 30,000 रुपये तक हो रही है. 

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