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PMFBY: फसल बीमा कंपन‍ियों का मकड़जाल, मौसम की मार के बाद ठगी के श‍िकार क‍िसान 

PMFBY: फसल बीमा कंपन‍ियों का मकड़जाल, मौसम की मार के बाद ठगी के श‍िकार क‍िसान 

PM Fasal Bima Yojana : पीएम फसल बीमा योजना से क‍िसानों को फायदा भी हुआ है, लेक‍िन देश के कई क‍िसान बीमा कंपनि‍यों के मकड़जाल में भी फंसे हुए नजर आते हैं. नतीजतन ऐसे क‍िसान फसल बीमा कंपन‍ियों की धोखाधड़ी के श‍िकार हुए और हो रहे हैं. कुल म‍िलाकर फसल बीमा कंपन‍ियों की ये क‍िसानों के साथ बीमाधड़ी है.

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फसल बीमा कराने के बाद क‍िसानों को मुआवजा नहीं म‍िलने के कई मामले सामने आ चुके हैं- फोटो क‍िसान तक फसल बीमा कराने के बाद क‍िसानों को मुआवजा नहीं म‍िलने के कई मामले सामने आ चुके हैं- फोटो क‍िसान तक

बीमाधड़ी: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है. इस योजना की शुरुआत मोदी सरकार ने प्राकृत‍िक आपदाओं से क‍िसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के ल‍िए की थी. इस योजना के शुरुआत के बाद से इसका लाभ देश के लाखों क‍िसानों को म‍िला है, लेक‍िन इस योजना की उपलब्ध‍ियों से इतर इसका दूसरा पक्ष भी है. ज‍िसमें देश के कई क‍िसान बीमा कंपनी के मकड़जाल में भी फंसे हैं. नतीजतन ऐसे क‍िसान फसल बीमा कंपन‍ियों की धोखाधड़ी के श‍िकार हुए और हो रहे हैं. कुल म‍िलाकर फसल बीमा कंपन‍ियों की ये क‍िसानों के साथ बीमाधड़ी है, ज‍िसमें प्रकृत‍ि की मार (बेमौसम बार‍िश, ओलावृष्ट‍ि से फसल नुकसान) खाए क‍ि‍सान, जब फसल बीमा योजना के तहत मुआवजे के ल‍िए क्लेम करते हैं तो उन्हें पता चलता है क‍ि वे ठगे जा चुके हैं, ज‍िसमें बीमा प्रीमि‍यम चुकाने के बाद भी क‍िसानों को मुआवजा नहीं म‍िलता.  

फसल बीमा कंपन‍ियों की तरफ से क‍िसानों के साथ बीमाधड़ी (ठगी) के ये मामले स‍िर्फ एक राज्य तक सीम‍ित नहीं है. बल्क‍ि अमूमन सभी राज्यों से ऐसे मामले सामने आते हैं, ज‍िसकी पूरी पड़ताल के ल‍िए क‍िसान तक बीमाधड़ी सीर‍ि‍ज शुरु कर चुका है. ज‍िसके पहली कड़ी में देश के कुछ राज्यों में बीमाधड़ी के श‍िकार हुए कुछ क‍िसानों की कहानी प्रस्तुत है...   

राजस्थान 

राजस्थान देश का प्रमुख कृष‍ि उत्पादक राज्य है. देश के कृष‍ि नक्शे में राजस्थान सरसों, जीरा, ईसबगोल और गेहूं का उत्पादन करने वाला राज्य है. राजस्थान में फसल बीमा कंपन‍ियों की तरफ से क‍िसानों के साथ की गई धोखाधड़ी के कई मामले सामने आ चुके हैं, ज‍िसमें बाड़मेर में बीते महीनों कंपन‍ियों की तरफ से क‍िसानों को मामूली मुआवजा राश‍ि देने के मामले ने नेशनल मीड‍िया में सुर्ख‍ियां बटोरी थी. कृष‍ि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के हस्तक्षेप के बाद क‍िसानों को उच‍ित मुआवजा म‍िला था, लेक‍िन इसके बाद भी कई ऐसे मामले हैं, ज‍ो सुर्ख‍ियां नहीं बन सके हैं.

केस-1- दो साल से मुआवजा राश‍ि नहीं म‍िली 

राजस्थान के टोंक जिले में डोडवाड़ी गांव के रहने वाले किसान गोपीलाल जाट साल 2020 और 2021 में फसल बीमा कराया था. दोनों साल अधिक बरसात के कारण गोपीलाल की पूरी फसल खराब हो गई थी, लेक‍िन उन्हें अभी तक बीमा कंपन‍ियों की तरफ से मुआवजा नहीं म‍िला है. गोपीलाल कहते हैं क‍ि फसल खराब होने के 72 घंटे के अंदर ही उन्होंने बीमा कंपनी एचडीएफसी इरगो कंपनी के टोलफ्री नंबर पर सूचना दे दी थी. इसके बाद ना तो बीमा कंपनी और ना ही सरकारी नुमाइंदा सर्वे के लिए आया. जाट ने आगे बताया क‍ि उन्होंने इसके बाद कृषि विभाग, बीमा कंपनी के आधिकारिक लोगों तक शिकायत पहुंचाई. सुनवाई नहीं हुई तो कई बार जयपुर में कृषि आयुक्त से मिला. तब जाकर 31 मार्च 2023 को एक पत्र एचडीएफसी इरगो बीमा कंपनी की ओर से जारी हुआ है. ये पत्र भी मुझे कुछ दिन पहले मिला. टोंक में बीमा कंपनी के लोगों के लिए लिखा गया है.जिसमें लिखा है कि 2020 में तो तिल, उड़द और मूंगफली के लिए बीमा किया है, लेकिन 2021 में किसान यानी मैंने कोई बीमा नहीं कराया.

 

क‍िसान गोपीलाल जाट- फोटो क‍िसान तक
क‍िसान गोपीलाल जाट- फोटो क‍िसान तक

जाट आगे बताते हैं क‍ि पत्र में आगे लिखा है कि 2020 में राज्य सरकार की ओर से दिए गए उपज के आंकड़ों के आधार पर किसान को फसली क्षेत्र में बीमा दावा राशि देय नहीं है. स्थानीय आपदा के अंतर्गत बीमा दावा राशि देय नहीं होती. 

गोपीलाल जाट कहते हैं कि फसल बीमा कंपन‍ियों ने उन्हें दो साल से मुआवजे के ल‍िए इंतजार करा रही हैं. इससे उन्हें बेहद ही न‍िराशा हुई है. इस वजह से वे अब फसल खराब की सूचना ही बीमा कंपन‍ियों को नहीं देते हैं. साथ ही वह कहते हैं क‍ि हालांकि हर साल उनका बीमा प्रीमियम कट रहा है.

केस-2- ढाई महीने बाद हुआ सर्वे, बीज खर्च से कम म‍िला मुआवजा

टोंक जिले के डोडवाड़ी गांव के ही रहने वाले किसान रामलाल शर्मा भी बीमा कंपनियों की ठगी के शिकार हुए हैं. रामलाल कहते हैं कि उन्होंने खरीफ सीजन 2022 के ल‍िए अपनी 26 बीघा में लगी फसल का बीमा कराया था. इसमें 8 बीघे में ज्वार और बाकी 18 बीघा में उड़द बोई थी. अधिक बरसात के कारण पूरी फसल खराब हो गई. एक दाना भी घर में नहीं आया. फसल बीमा कंपनी एचडीएफसी इरगो को सूचना भी दी गई. रामलाल कहते हैं क‍ि फसल खराब होने का आकलन के लिए सात दिन के अंदर बीमा कंपनी को अपना प्रतिनिधि भेजना होता है, लेकिन मेरे खेत का सर्वे श‍िकायत भेजने के दो-ढाई महीने बाद हुआ. तब तक वह खेत में सरसों बो चुके थे. शर्मा कहते हैं क‍ि नवंबर में मेरे खाते में नुकसान के एवज में सिर्फ 6070 रुपये जमा हुए. इससे ज्यादा तो उनके बीज में ही खर्च हो गए थे. 

रामलाल बीज का खर्चा बताते हुए कहते हैं क‍ि एक बीघा में 10 किलो ज्वार का बीज लगता है. 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चार हजार रुपये का ज्वार बीज में खर्च हुआ. वहीं, 100 रुपये प्रति किलो के भाव से एक बीघे में चार किलो उड़द का बीज लगा. इस तरह 7200 रुपये का बीज उड़द की फसल में लगा. कुल 11200 रुपये सिर्फ बीज में ही खर्च हो गए. जबकि बीमा सिर्फ 6070 रुपये मिला.  

हर‍ियाणा-

हर‍ियाणा भी देश का प्रमुख कृष‍ि राज्य है. यहां के क‍िसान अपनी मेहनत से सोना पैदा करते हैं. लेक‍िन बीमा कंपन‍ियों के मकड़जाल में हर‍ियाणा के क‍िसान भी फंसे हैं. बीमा कंपन‍ियों के ख‍िलाफ कई सालों से लड़ाई लड़ रहे जींंद के क‍िसान सूरजमल सुर्ख‍िया बन चुके हैं, लेक‍िन बीते द‍िनों सोनीपत के क‍िसानों ने बीमा कंपन‍ियों की मनमानी की पोल खोल थी. 

सोनीपत- बीमा कंपन‍ियों ने सर्वे के नाम पर सादे कागजों पर ल‍िए क‍िसानों के साइन       

मार्च और अप्रैल के शुरुआती द‍िनों में बेमौसम बार‍िश ने क‍िसानों के सामने मुश्क‍िलें खड़ी की थी. ज‍िससे हरि‍याणा के सोनीपत के मोहना गांव के क‍िसानों की फसलों को भी नुकसान हुआ था. गांव के क‍िसानों ने फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा कराया था, ऐसे में क‍िसानों को फसल बीमा कंपन‍ियों से मुआवजे की उम्मीद थी. तो क‍िसानों ने फसल खराब होने पर नियमानुसार तय वक्त में फसल खराब होने की सूचना टोल फ्री नंबर पर दी. अच्छीे बात यह रही कि वक्त रहते बीमा कंपनी और कृषि विभाग की टीम खराब फसल का सर्वे करने के लिए पहुंच गईं. टीम ने सर्वे भी कर लिया. सर्वे करने के बाद पीड़ित किसानों को बुलाकर उनके साइन भी लिए जाने लगे.

न‍ियामानुसार सर्वे रिपोर्ट पर बीमा कंपनी के सर्वेयर, कृषि विभाग के एक अधिकारी और पीड़ित किसान के साइन होते हैं, लेकिन बीमा कंपनी की तरफ से ज‍िस सर्वे रिपोर्ट पर किसानों के साइन लिए जा रहे थे वो तो सिर्फ एक कोरा कागज था. 
उस वक्त तो बीमा कंपनी और कृषि विभाग ने किसी तरह किसानों से सादा कागज पर ही किसानों के साइन ले लिए, लेकिन पीड़ित किसानों को यह तरीका कहीं से भी ठीक नहीं लगा. कुछ दिन बीतने के बाद मोहाना गांव के दर्जनभर से ज्यादा किसान सोनीपत डीसी (प्रशासन) के यहां गुहार लगाने पहुंच गए. किसानों का आरोप था कि सर्वे रिपोर्ट पर कहकर उनसे सादा कागज पर साइन लिए गए हैं. उनके साथ धोखा किया गया है. यह मामला 13 अप्रैल 2023 का है, प्रशासन ने मामले की जांच ब‍िठाई हुई है.  

उत्तर प्रदेश 

उत्तर प्रदेश देश का प्रमुख कृष‍ि राज्य है. गेहूं उत्पादन में यूपी देश में अव्वल है, तो वहीं यूपी को देश की स‍ियासत तय करने वाले राज्य के तौर पर भी पहचाना जाता है. इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से लोकसभा के ल‍िए न‍िर्वाच‍ित होते आ रहे हैं. बीते महीने इसी वाराणसी में क‍िसानों के साथ फसल बीमा के नाम पर ठगी का मामला सामने आया था. आइए जानते हैं क‍ि मामला क्या था, उसमें क्या हुआ. 

बीमा के ल‍िए प्रीम‍ियम चुकाया, मुआवजा मांगा तो सूची से कट गया नाम 

फसल बीमा कंप‍न‍ियों की मनमानी से जुड़ा हुआ ये मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सामने आया है. असल में वाराणसी के 12399 किसानों ने योजना के तहत फसल बीमा कराया था,ज‍िसके ल‍िए क‍िसानों ने प्रीम‍ियम चुकाया था. मार्च में बेमौसम बार‍िश और ओलावृष्टि से फसल खराब हुई तो ज‍िले के क‍िसानों ने बीमा कंपनी एचडीएफसी इरगो के समक्ष मुआवजे के ल‍िए आवेदन क‍िया. तो बीमा कंपनी की तरफ से 10543 किसानों की सूची ही मुआवजे के ल‍िए प्रशासन को दी गई. तो वहीं बीमा कंपनी की तरफ से 1856 किसानों का नाम सूची से काट द‍िया गया. किसानों ने जब इस मामले की श‍िकायत ज‍िला प्रशासन से की तो मामले ने तूल पकड़ा. अब इस मामले में सहज जन सेवा केंद्र को दोषी पाया गया है. 

जांच के बाद सीएचसी को पाया गया दोषी

प्रशासन की मानें तो वाराणसी के 300 किसानों ने सहज जन सेवा केंद्र के माध्यम से फसल बीमा का प्रीमियम भरा था. वहीं इन केंद्रों के द्वारा किसान की खतौनी को अपलोड नहीं किया गया, जिसके चलते किसानों का पैसा उनके संबंधित बैंकों में लौटा दिया गया. वहीं 300 ऐसे किसान हैं, जिनका फसल बीमा के लिए आवेदन एक ही आईडी से कई बार किया गया था. इन किसानों का फसल बीमा के आवेदन को भी निरस्त कर दिया गया. वहीं 76 किसानों के प्रीमियम को बैंक ने वापस किया है. जांच टीम में शामिल वाराणसी के जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह मौर्य ने किसान तक को बताया कि फसल बीमा प्रकरण में  बीमा कंपनी को भी दोषी पाया गया है, फिलहाल अभी जांच चल रही है, जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. (इनपुट- माधव शर्मा, नास‍िर हुसैन, धमेंद्र स‍िंह)