आंध्र प्रदेश एक बार फिर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) में शामिल हो गया है. यह सूबा रबी 2019-20 सीज़न से इस योजना बाहर हो गया था. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि खरीफ 2022 सीज़न से राज्य इस योजना में फिर से शामिल हो गया है. पूरे राज्य में यह योजना संचालित हो रही है. खास बात यह है कि राज्य सरकार के पोर्टल पर रजिस्टर्ड सभी किसानों को बिना किसी प्रीमियम के इस योजना के तहत शामिल किया जा रहा है. किसानों के हिस्से का प्रीमियम भी राज्य सरकार दे रही है. यही नहीं आंध्र प्रदेश में बीमा का प्रीमियम भी पहले के मुकाबले घट गया है. खरीफ 2022 में 1885 करोड़ रुपये का प्रीमियम लगा था जबकि 2023 में घटकर यह 1274 करोड़ रुपये ही रह गया है. जबकि इस सीज़न में बीमित क्षेत्र 20.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 28.34 लाख हेक्टेयर हो चुका है.
दरअसल, कई सूबे इस योजना से खुद को बाहर रखे हुए हैं. इनमें आंध्र प्रदेश भी शामिल था. लेकिन जुलाई 2022 में मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने तब के केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से बातचीत के बाद इस योजना में वापसी का फैसला लिया. इसकी वजह से यहां के किसानों को प्राकृतिक आपदा की स्थिति में बीमा रूपी सुरक्षा कवच का लाभ मिलना शुरू हुआ है. लेकिन उससे भी खास बात यह है कि राज्य सरकार अब किसानों के हिस्से का प्रीमियम भी खुद ही दे रही है.
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आमतौर पर फसल बीमा योजना में प्रीमियम के तीन हिस्से होते हैं. जिसमें एक हिस्सा केंद्र, एक राज्य और तीसरा किसान देता है. लेकिन आंध्र प्रदेश ने किसानों के हिस्से की प्रीमियम रकम भी खुद देना शुरू किया है. केंद्र सरकार ने खरीफ 2023 सीज़न से जोखिम साझेदारी के तीन मॉडल पेश किए हैं. आंध्र प्रदेश सरकार ने कप एंड कैप (80-110) मॉडल का विकल्प चुना है, जिसमें यदि 80% से कम क्लेम देय है तो राज्य द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम का एक हिस्सा राज्य के खजाने में वापस अपने आप जमा हो जाता है.
ख़रीफ़ 2022 सीज़न के दौरान, केंद्र सरकार के हिस्से के 669.93 करोड़ रुपये सहित कुल 1885.06 करोड़ रुपये का प्रीमियम इस योजना के तहत आंध्र प्रदेश में एकत्र किया गया था. इस सीज़न के लिए योजना के प्रावधानों के अनुसार रिपोर्ट किए गए 568.74 करोड़ रुपये के कुल दावों में से, 556.29 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान पहले ही किसानों को किया जा चुका है. शेष दावे विभिन्न कारणों जैसे किसानों के असत्यापित आधार नंबर, नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) से संबंधित मुद्दों और फसल कोड का मेल न खाने आदि की वजह से लंबित हैं.
आंध्र प्रदेश से हटकर बात करें तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), नामांकन की दृष्टि से दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है. जो देश में खरीफ 2016 सीज़न से शुरू की गई थी. यह राज्यों तथा किसानों के लिए स्वैच्छिक है. देश के 27 राज्यों ने इस योजना की शुरुआत से ही एक या अधिक सीज़न में इसको क्रियान्वित किया है. किसानों के 29,237 करोड़ रुपये के प्रीमियम के हिस्से के विरुद्ध किसानों को 1,51,926 करोड़ रुपये के क्लेम मिलने का दावा किया गया है.
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योजना के प्रावधानों के अनुसार, क्लेम की गणना या भुगतान केंद्र सरकार द्वारा नहीं किया जाता. योजना के तहत क्लेम देने की गणना संबंधित राज्य सरकार और बीमा कंपनियों द्वारा की जाती है. क्योंकि क्लेम की गणना के लिए नुकसान या उपज डेटा संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकार के अधिकारियों और बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों की कमेटी द्वारा प्रदान किया जाता है. इस योजना के तहत, प्रीमियम का भुगतान जोखिमों और किसानों की बीमा कवरेज के लिए किया जाता है जबकि दावे प्राकृतिक आपदाओं पर निर्भर होते हैं.
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