केंद्र और राज्य की सरकारें महिलाओं के उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, जिनसे वे कई क्षेत्रों में रोजगार हासिल कर आगे बढ़ रहीं हैं. इसी क्रम में मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन भी राज्य की महिलाओं को स्वयं सहायता समूह (सेल्फ हेल्प ग्रुप- SHG) से जोड़कर उनकी क्षमता का विस्तार कर रहा है. मिशन के तहत महिलाओं को आर्थिक मदद देकर आय हासिल करने वाली गतिविधियों से जोड़ने का काम किया जा रहा है. इसी कड़ी में कटनी जिले के ग्राम बण्डाट की मंजूलता हल्दकार भी समूह से जुड़ी हैं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है.
मंजूलता ने बताया कि वह स्वयं सहायता समूह से जुड़ने से पहले मजदूरी करके अपना घर चलाती थी. आय का कोई नियत आय न होने के कारण अगर उन्हें अचानक किसी काम के लिए पैसों की जरूरत पड़ जाती थी तो उसकी व्यवस्था करनें में भी समस्या होती थी. अगर कहीं से पैसे ब्याज पर मिलते भी थे तो उसकी ब्याज दर ज्यादा होने के कारण उसे चुका पाना संभव नहीं था.
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स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के फायदों को समझकर मंजूलता ने भी अपने आर्थिक स्तर की 14 महिलाओं को जोडकर "जागृति स्व-सहायता समूह" बनाया. समूह की सदस्य बनी सभी महिलाओं ने प्रत्येक सप्ताह 10 रुपये से बचत करना शुरू किया. प्रथम ग्रेडिंग के रूप में मिले 14 हजार रुपये और उसके बाद समूह को सीआईएफ राशि 50 हजार ग्राम संगठन से मिली. इस राशि की मदद से मंजूलता ने खेती के काम को बढ़ावा दिया. साथ ही मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से सब्जी उगाने की ट्रेनिंग भी ली.
इसके बाद मंजूलता ने खेत में टमाटर, बैगन, मिर्च, लौकी, खीरा, हल्दी और अदरक की व्यावसायिक खेती शुरू कर दी और अच्छी फसल होने से उनके परिवार की आय बढ़ने लगी है. आज मंजूलता आपने साथ गांव के अन्य लोगों को भी सब्जी की खेती की समझाईश देती हैं.
इसके अलावा, राज्य में उद्यानिकी विभाग बागवानी फसलों की खेती के लिए किसानों की मदद कर रहा है. विभाग के अधिकारी किसानों को ट्रेनिंग, खेतों का दौरा, मिट्टी की जरूरी जांचे आदि में सहायता करते हैं. कई किसान परंपरागत खेती छोड़कर बागवानी की खेती अपना रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है और उनके जीवन में खुशहाली आई है. इस सब के अतिरिक्त किसानों को योजनाओं पर सब्सिडी भी दी जाती है.
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