मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद शुरू होने वाली है. मध्य प्रदेश सरकार ऐसे में भारत सरकार की प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत रबी वर्ष 2023-24 की मुख्य फसल गेहूं की खरीद करेगी. इसके लिए जूट के बारदाने यानी जूट के बोरे उपयोग किए जाएंगे. इसके लिए सरकार 480 करोड़ रुपये अतिरिक्त पैसे खर्च करेगी. अभी तक सरकार समर्थन मूल्य पर गेहूं रखने के लिए 50 फीसदी जूट के और 50 फीसदी प्लास्टिक के बोरे का उपयोग करती थी. वहीं अब सौ फीसदी जूट के बोरे का उपयोग किया जाएगा. बताया जाता है कि प्लास्टिक के एक बोरे की कीमत करीब 24 रुपये है, जबकि जूट के बोरे की कीमत 72 रुपये है.
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए करीब 960 करोड़ रुपये के जूट के बोरे खरीदे जाएंगे. वहीं अगर जूट की जगह प्लास्टिक का बोरा खरीदा जाता तो इसमें करीब तीन सौ करोड़ रुपये का खर्च आता है. लेकिन प्लास्टिक के बोरे की क्वालिटी को लेकर आ रही लगातार शिकायतों के चलते सरकार ने इस बार बदलाव का निर्णय लिया है. इससे गेहूं की क्वालिटी पर भी असर नहीं पड़ेगा.
जूट के बोरे में गेहूं की क्वालिटी लंबे समय तक बरकरार रहती है. ये बोरे प्लास्टिक से ज्यादा मजबूत भी होते हैं और इससे गेहूं खराब होने के झंझट से भी छुटकारा मिलता है. वहीं यह भी बताया जाता है कि प्लास्टिक के बोरे को सिर्फ एक बार ही उपयोग किया जाता है, लेकिन जूट के बोरे का दो से तीन बार उपयोग किया जा सकता है.
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भारतीय केंद्रीय जूट निगम कोलकाता के जरिए मध्य प्रदेश को जूट के बोरे की सप्लाई की जाएगी. इसमें 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं भंडारण के लिए करीब चार लाख बोरे की जरूरत होगी. इसकी सप्लाई के लिए राज्य सरकार निगम को एडवांस में करीब 960 करोड़ राशि देगी.
सेवानिवृत्त प्रबंधक व्यवसाय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम अरुण वर्मा ने कहा कि जूट के बोरे सबसे अच्छे होते हैं. उन्होंने कहा कि प्लास्टिक की बोरियां फट जाती हैं, लेकिन जूट के बोरे नहीं फटते हैं. वहीं, जूट के बोरे में लंबे समय तक अनाज का भंडारण किया जा सकता है. साथ ही इसमें भंडारण करने से गेहूं की क्वालिटी भी खराब नहीं होती है.
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