हरियाणा सरकार ने गोचरण की जमीन पर नई संस्थाओं को गौशालाएं खोलने के लिए आमंत्रित किया है. इसके लिए सरकार पर्याप्त धन देगी. यदि कोई पुरानी गौशाला विस्तारीकरण के तहत आगे बढ़ना चाहती है तो उसे भी पर्याप्त अनुदान दिया जाएगा. ताकि गोवंश बाहर न घूमें. सीएम मनोहरलाल ने कहा कि जो पशुधन सड़कों पर हैं उन्हें लेने के लिए सभी गौशालाएं आगे आएं क्योंकि इससे दुर्घटना भी होती है और कई बार जान भी चली जाती है. मुख्यमंत्री ने बताया कि हरियाणा में 2014-15 में 215 गौशालाएं थी जो कि अब बढ़कर 649 हो गई है. यानी नौ साल में गौशालाओं की संख्या तीन गुना बढ़ गई है.
सीएम ने एक कार्यक्रम में बताया कि वर्तमान में प्रदेश की गौशालाओं में 35500 गौवंश हैं. सोनीपत की सिसाना गौशाला ने भी एक हजार अतिरिक्त बाहरी गौवंश को रखने की सहमति दी है. यदि बाहरी गोवंश को गौशाला में रखा जाएगा तो उसके लिए भी विशेष रूप से ग्रांट जारी की जाएगी. उन्होंने कहा कि गौशालाओं को आर्थिक मदद देने के लिए सरकार ने बिजली के बिल को भी सिर्फ 2 रुपये प्रति यूनिट कर दिया है, जो कि पहले 8 रुपये प्रति यूनिट था.
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मुख्यमंत्री ने गौशालाओं का आह्वान किया कि वह अपने यहां दूध, गोमूत्र, गोबर इत्यादि से संबंधित इंडस्ट्री भी लगाने का प्रयास करें. उनसे बने उत्पादों की बिक्री के लिए सरकार आगे आएगी. उन्होंने कहा कि सिसाना गांव की गौशाला 1902 में पंडित हरनाथ ने स्थापित की थी. इसके बाद 1978 में 61 गांवों की पंचायतों ने इस गौशाला को चलाने के लिए अपना योगदान दिया था. यही नहीं सरकारी अनुदान भी इस गौशाला को कई बार दिया जा चुका है. उन्होंने सभी से आह्वान किया कि वह अपनी गौशालाओं में गौवंश का पूरा लेखा-जोखा रखें ताकि उसी आधार पर अनुदान भी सरकार दे सके.
सीएम ने सिसाना गौशाला को इसी साल में 51 लाख रुपये बतौर अनुदान देने की भी घोषणा की है. इससे पहले भी 42 लाख रुपये इस गौशाला को अनुदान राशि के रूप में दिए गए हैं. इस गौशाला में 7000 तक गोवंश के लिए पहले की तरह अनुदान दिया जाएगा. जबकि उससे ऊपर के 1000 गोवंश के लिए सिसाना में ही 16 एकड़ में स्थापित शेड के लिए 70 लाख रुपये भी गौशाला को दिए जाएंगे. गौ सेवा आयोग की ओर से 25 एकड़ में अनुसंधान केंद्र भी स्थापित किया जाएगा. जिसमें देशी नस्ल की गाय की प्रजाति को आगे बढ़ाने और गौमूत्र व गोबर पर काम होगा.
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