केंद्र सरकार ई-नाम (e-NAM) में बड़ा सुधार करने की तैयारी में है. सरकार जल्द ही e-NAM 2.0 लॉन्च करने वाली है. इसे देखते हुए राज्य सरकारों को अपने एपीएमसी एक्ट में कुछ बदलाव करने होंगे. केंद्र सरकार ने कुछ राज्यों को इस बारे में बता भी दिया है. यहां ई-नाम का मतलब इलेक्ट्रॉनिक ढंग से कृषि उत्पादों की मार्केटिंग है. यानी ऑफलाइन मोड में जहां विक्रेता और खरीदार आमने-सामने होते हैं और आमने-सामने ही भुगतान होता है. उससे अलग ई-नाम सिस्टम में कोई विक्रेता दूर बैठा अपना सामान दूर बैठे किसी खरीदार को ऑनलाइन बेचता है और ऑनलाइन पैसे भी लेता है. हाल के दिनों में देश के लाखों किसानों ने ई-नाम में अपनी दिलचस्पी दिखाई है.
सरकार ई-नाम 2.0 के अंतर्गत राज्यों के बीच अधिक से अधिक ट्रांजैक्शन होने पर फोकस कर रही है. अभी राज्य के अंदर ही ट्रांजैक्शन अधिक देखा जा रहा है. लेकिन सरकार इसे इंटर स्टेट यानी अंतरराज्यीय मोड में ज्यादा करने की तैयारी में हैं. सरकार चाहती है कि किसी एक राज्य में बैठा किसान किसी दूसरे राज्य में बैठे खरीदार को आसानी से अपनी उपज बेचे और ऑनलाइन पेमेंट भी ले. इंटर स्टेट ट्रांजैक्शन बढ़ाने के लिए केंद्र के साथ राज्यों को भी ई-नाम में बड़े बदलाव करने होंगे जिसकी तैयारी शुरू हो गई है.
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ई-नाम 2.0 में सुधार के पहले स्टेज में केंद्र सरकार ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से संपर्क किया है और उनसे रायशुमारी की गई है. इन राज्यों ने केंद्र सरकार को भरोसा दिलाया है कि ई-नाम में जो कुछ भी स्ट्रक्चरल बदलाव की जरूरत होगी, उसे वे अपनाएंगे. सूत्रों के मुताबिक, इन राज्यों ने केंद्र सरकार से कहा है कि इंटर स्टेट ट्रांजैक्शन को वे अधिक बढ़ावा देंगे. एक बार इन राज्यों में इंटर स्टेट ट्रांजैक्शन का काम पटरी पर आ जाएगा तो दूसरे स्टेज में केंद्र सरकार अन्य राज्यों को पकड़ेगी.
केंद्र सरकार दूसरे स्टेज में गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा और ओडिशा में ई-नाम में सुधार का काम शुरू कराएगी. सूत्रों के मुताबिक, डिप्टी एग्रीकल्चर मार्केटिंग एडवाइजर एसके सिंह इन राज्यों के मंडी बोर्ड से लगातार संपर्क में हैं ताकि ई-नाम में बदलाव कराया जा सके. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते एक दिन में ई-नाम पर 2,34,197 रुपये की 50 क्विंटल मूंगफली, 1,13,548 रुपये का 45 क्विंटल गेहूं और 43,896 रुपये का 6 क्विंटल धनिया बिका है. अच्छी बात ये है कि ये सभी उपज इंटर स्टेट ट्रांजैक्शन के जरिये बिकी हैं. यानी एक राज्य से दूसरे राज्य में खरीद-बिक्री हुई है.
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इन उपजों के विक्रेता राजस्थान के निंबाहेड़ा और रामगंज मंडी के किसान थे जबकि खरीदार मध्य प्रदेश के नीमच और मंदसौर के थे. सरकार हालांकि ई-नाम जैसे सिस्टम से ऑनलाइन खरीद-बिक्री को बढ़ावा दे रही है लेकिन व्यापारियों में अभी हिचक है. मध्य प्रदेश के एक व्यापारी ने बताया कि वह राजस्थान की कुछ मंडियों में जाकर कमिशन एजेंटों के जरिये उपजों की खरीद करता है. उसने कहा कि वह उन किसानों को जानता है जो अधिकांश उपज मंडियों में लेकर आते हैं और बेचते हैं. मंडी सचिव ऐसे खरीदारों से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने के लिए कहते हैं, लेकिन खरीदारों को ऑफलाइन खरीद ज्यादा आसान लगती है. किसान भी कुछ ऐसा ही सुविधाजनक मानते हैं. अगर ई-नाम 2.0 में बड़े सुधार होते हैं तो किसानों और खरीदारों के लिए ऑनलाइन ट्रांजैक्शन अधिक आसान हो जाएगा.
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