केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए कमर कस ली है. कहा जा रहा है कि सरकार आटे की तरह अब उपभोक्ताओं को चावल भी बेच सकती है. इसके लिए वह तैयारी कर रही है. सरकार का मानना है कि नीलामी के माध्यम से खुले बाजार में गेहूं की तरह चावल बेचने के बावजूद भी कीमतों में उम्मीद के मुताबिक गिरावट नहीं आई. अभी भी रिटेल मार्केट में चावल की कीमत पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि सीधे उपभोक्ताओं को चावल बेचने से कीमत में गिरावट आएगी और महंगाई भी नियंत्रित रह सकती है.
एफसीआई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक मीना ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास चावल का बंपर भंडार है. उनकी माने तो सरकार कई योजनाओं के माध्यम से पूरे साल में 400 लाख टन चावल वितरित करती है. जबकि केंद्रीय पूल में इससे 200 लाख टन अधिक चावल का स्टॉक है. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है. चावल की महंगाई दर 13 प्रतिशत की करीब पहुंच गई है, जो एक चिंता का विषय है.
उन्होंने कहा कि चावल की खुदरा बिक्री शुरू करने के लिए एफसीआई नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसी सहकारी समितियों के साथ चर्चा कर रही है. हालांकि, गेहूं के विपरीत एफसीआई द्वारा बेचा जाने वाला चावल जब 1 से 5 किलोग्राम के खुदरा पैक में सेल किया जाएगा, तो इस पर जीएसटी लगेगा जो एक बाधा है. क्योंकि ज्यादातर इसे खुदरा विक्रेताओं द्वारा 25 किलोग्राम के थोक पैक में खरीदा जाता है.
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एक चावल मिलर ने कहा कि जब तक सरकार एक निश्चित एमआरपी से नीचे सहकारी समितियों के लिए एक विशेष मामले के रूप में चावल के खुदरा पैक को जीएसटी से छूट नहीं देती, तब रिटेल में इसकी बिक्री करना संभव नहीं है. सभी मिल मालिकों के पास अपना नेटवर्क है और वे एफसीआई से आरक्षित मूल्य पर खरीदने पर भी खुदरा आउटलेट पर 40 रुपये प्रति किलो पर नहीं बेच पाएंगे. केंद्र ने एफसीआई के चावल का आरक्षित मूल्य गैर-फोर्टिफाइड चावल के लिए 29 रुपये प्रति किलो और फोर्टिफाइड चावल के लिए 29.75 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया है.
मीना ने कहा कि एफसीआई खुले बाजार की नीलामी के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर 7 लाख टन गैर-फोर्टिफाइड चावल को मंजूरी दे रही है, क्योंकि 1 अप्रैल, 2024 से केवल फोर्टिफाइड चावल का वितरण करना होगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने शुक्रवार को प्रत्येक बोलीदाता के लिए चावल की न्यूनतम खरीद मात्रा को पहले के 10 टन से घटाकर 1 टन करने का निर्णय लिया, क्योंकि इससे साप्ताहिक नीलामी में अधिक प्रतिभागियों को आकर्षित करने में मदद मिल सकती है. इस प्रकार, प्रत्येक प्रतिभागी के लिए अधिकतम मात्रा पहले के 1,000 टन से बढ़ाकर 2,000 टन कर दी गई है. वहीं, 28 जून से नीलामी के माध्यम से 48.12 लाख टन गेहूं बेचा गया है.
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