दालों के दाम अगले साल की शुरुआत में घट सकते हैं. सरकार ने दालों की महंगाई घटाने के लिए कई पहल की है. साथ ही अगले साल की शुरुआत में दालों की नई आवक भी आएगी जिससे सप्लाई बढ़ेगी और दाम घटेंगे. तुर और उड़द की नई उपज निकलेगी और बाजार तक पहुंचेगी. इससे दाम में गिरावट देखी जाएगी. इसके साथ ही सरकार ने दालों के आयात को बढ़ा दिया है जिसमें पीली मटर की मात्रा सबसे अधिक है. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए अगले साल की शुरुआत में दालों के दाम गिरने की पूरी संभावना है.
इसमें एक अच्छी बात ये है कि इस सीजन में चने की पैदावार कम होने की आशंका के बीच दाम में गिरावट की पूरी संभावना है. इस रबी सीजन में चने की पैदावार 10-15 परसेंट तक गिरने की आशंका है. ऐसे में चिता बनी हुई थी कि सप्लाई घटने से दाम बढ़ेंगे. लेकिन सरकार ने आयात शुरू किया है और सीजन में बाकी दालों की पैदावार अधिक होगी. इससे सप्लाई बढ़ेगी और दाम में गिरावट आएगी.
इस बार मॉनसून की बारिश देर से शुरू हुई है और मॉनसून की चाल भी बेतरतीब रही. इससे तुर की बुवाई प्रभावित हुई. हालांकि ऐसी स्थिति शुरुआत में देखी गई, लेकिन बाद में अच्छी बारिश होने से तुर की खेती में सुधार आया. इससे तुर उत्पादन अच्छा रहने की संभावना है. कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान में बताया गया है कि इस बार 33 लाख टन तुर की पैदावार होगी जो कि पिछले साल से 12 लाख टन कम है. इस कमी को पाटने के लिए सरकार म्यांमार और पूर्वी अफ्रीका से दाल आयात कर रही है.
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'ओलाम एग्री' के बिजनेस हेड अंकुश जैन ने 'बिजनेसलाइन' से कहा कि इस बार बारिश कम होने से मटर की खेती का रकबा पांच फीसद कम रहा. गर्मी अधिक दिनों तक पड़ने से मटर के पौधे की ऊंचाई कम हो गई, लेकिन नवंबर में हुई बारिश से फसल को जान मिली. मटर की पैदावार पिछले साल से कम रहेगी, लेकिन सामान्य वर्षों की तुलना में इसमें गिरावट देखी जाएगी.
अभी मटर जैसी दालों की महंगाई इसलिए देखी जा रही है क्योंकि किसान अपनी आवक मंडियों में लेकर नहीं आ रहे हैं. फसल की कटनी भी देरी से हुई है, इसलिए मंडियों में आवक धीमी हो गई है. मंडियों में आवक जैसे ही सामान्य होगी, दाम में गिरावट शुरू हो जाएगी. अगले 30-45 दिनों में दाम में सुधार की गुंजाइश देखी जा सकती है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना में दालों की कटाई पूरी तेजी के साथ चल रही है जबकि तमिलनाडु में 15 जनवरी से कटाई शुरू होगी. इसमें चिंता वाली एक ही बात है कि दिसंबर के तीसरे हफ्ते में तमिलनाडु में बारिश की संभावना जताई गई है जिससे कटाई प्रभावित हो सकती है. आंध्र प्रदेश में बारिश ने दलहन की पूरी फसल चौपट कर दी है. जो थोड़ी बहुत फसल बची है, उसकी कटाई देरी से होगी. इसलिए आवक भी देरी से ही आएगी. ऐसे में माना जा रहा है कि जनवरी-फरवरी में सप्लाई सुचारू होने के बाद दालों के दाम में गिरावट देखी जा सकती है.
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