प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खेती-किसानी को लेकर बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि हर वर्ष केंद्र सरकार 6.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक खेती और किसानों पर खर्च कर रही है. इसका मतलब है कि प्रतिवर्ष हर किसान तक सरकार औसतन 50 हजार रुपये किसी न किसी रूप में पहुंचा रही है. यानी भाजपा सरकार में किसानों को अलग-अलग तरह से हर साल 50 हजार रुपये मिलने की गारंटी है. ये मोदी की गारंटी है. किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिले इसे लेकर सरकार शुरुआत से ही बहुत गंभीर रही है. पिछले 9 साल में एमएसपी को लगातार बढ़ाया गया है. एमएसपी पर फसलों को खरीद कर 15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा किसानों को दिए गए हैं. आखिरकार गारंटी क्या होती है.
पीएम मोदी शनिवार को प्रगति मैदान में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) की ओर से आयोजित भारतीय सहकारी कांग्रेस को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए कई बार गारंटी शब्द का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि दुनिया में निरंतर महंगी होती खादों और केमिकल का बोझ किसानों पर न पड़े, इसकी भी गारंटी केंद्र की भाजपा सरकार ने आपको दी है. कुल मिलाकर अगर देखें तो सिर्फ फर्टिलाइजर सब्सिडी पर भाजपा सरकार ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं.
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सहकारिता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि गन्ना किसानों के लिए भी उचित और लाभकारी मूल्य को (FRP) अब रिकॉर्ड 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. किसान हितैषी अप्रोच को जारी रखते हुए कुछ दिन पहले एक और बड़ा निर्णय लिया गया है. केंद्र सरकार ने किसानों के लिए 3 लाख 70 हजार करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया है. जिसके तहत अगले तीन साल तक यूरिया का दाम नहीं बढ़ने दिया जाएगा. पीएम प्रणाम स्कीम को मंजूरी दी गई है. ताकि कैमिकल मुक्त खेती को बढ़ावा मिले. नेचुरल फार्मिंग, सरकार की प्राथमिकता है. किसान केमिकल मुक्त खेती अपनाएं.
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की सबसे लोकप्रिय स्कीम पीएम किसान सम्मान निधि की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि करोड़ों छोटे किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि मिल रही है. सलाना मिलने वाले 6000-6000 रुपये में कोई बिचौलिया नहीं है और कोई फर्जी लाभार्थी नहीं है. उन्होंने कहा कि बीते 9 वर्षों में सिंचाई हो या पीने का पानी हो, उसे घर-घर और खेत-खेत पहुंचाने के लिए सरकार ने काम किए हैं. ज्यादा पानी, ज्यादा फसल की गारंटी नहीं है. इसलिए माइक्रो इरीगेशन का कैसे गांव-गांव तक विस्तार हो, इसके लिए सहकारी समितियों को अपनी भूमिका का भी विस्तार करना होगा.
पीएम मोदी ने कहा कि हमने पहली बार सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय बनाया, अलग बजट का प्रावधान किया. आज को-ऑपरेटिव्स को वैसी ही सुविधाएं हैं, वैसा ही प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा रहा है जैसा कॉरपोरेट सेक्टर को मिलता है. अमृतकाल में देश के गांव, देश के किसान के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए अब देश के कॉपरेटिव सेक्टर की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है. सहकारी समितियों की ताकत बढ़ाने के लिए उनके लिए टैक्स की दरों को भी कम किया गया है. सहकारिता क्षेत्र से जुड़े जो मुद्दे वर्षों से लंबित थे, उन्हें तेज़ गति से सुलझाया जा रहा है. हमारी सरकार ने सहकारी बैंकों को भी मजबूती दी है. बीते वर्षों में हमने किसान उत्पादक संघों यानि एफपीओ के निर्माण पर भी विशेष बल दिया है. ये छोटे किसानों को बड़ी ताकत देने वाले हैं.
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