किसान, इन्वेस्टर और फार्मर प्रोडूसर कंपनी (FPO) एक टेबल के आमने- सामने बैठे थे. किसान और एफ़पीओ अपना प्रोडक्ट दिखा रहे थे, जबकि इन्वेस्टर अपनी जरूरत की चीजें देखकर गुणवत्ता और दाम को लेकर बातचीत कर रहे थे. मौका था पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय के उमियम (बारापानी) स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कैंपस में आयोजित नॉर्थ-ईस्ट एफपीओ कॉन्क्लेव और इन्वेस्टर मीट के दूसरे दिन का. कृषि क्षेत्र में निवेश करने के इच्छुक लोगों ने दिन भर किसानों के साथ बातचीत की. नॉर्थ-ईस्ट में पहली बार ऐसी कोशिश शुरू की गई है जब सीधे किसान निवेशकों से मिलकर अपनी कृषि उपज को बेचने के लिए बातचीत कर रहे हैं.
खास बात यह है कि किसानों, एफपीओ और निवेशकों के बीच होने वाली कृषि उपज की खरीद और बिक्री की इस कोशिश से दोनों पक्षों को फायदा है क्योंकि ऐसे में बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाती है. पूर्वोत्तर के किसानों को आगे बढ़ाने और यहां की कृषि उपज को लोकप्रिय बनाने की यह अनोखी पहल केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इंफाल के कुलपति डॉ. अनुपम मिश्र ने शुरू की है. उनका कहना है कि पूर्वोत्तर भारत में कृषि क्षेत्र के विकास की अपार संभावना है, क्योंकि यहां के कृषि उत्पाद यूनिक हैं.
महाराष्ट्र के जालना से आए प्रवीण ईश्वरदास घांघव मूल रूप से किसान हैं, लेकिन वो लंबे समय से केले का चिप्स और चने व मूंग की नमकीन बनाते हैं. 'किसान तक' से बातचीत में उन्होंने कहा कि पहले वो काली मिर्च केरल से मांगते थे लेकिन, अब मेघालय के किसान से खरीदेंगे. क्योंकि यहां की मिर्च काफी तीखी है. उसका कम इस्तेमाल करना पड़ेगा और दाम भी लगभग बराबर ही होगा. यहां की काली मिर्च की अच्छी मार्केटिंग हो तो यह काफी लोकप्रिय हो सकती है. प्रवीण ने यहीं से सबसे तीखी मिर्च 'किंग चिली' भी ले जाने की डीलिंग कर ली है.
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केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने इन्वेस्टर समिट में छह तरह के कृषि और उससे जुड़े उत्पादों का बिजनेस बढ़ाने पर फोकस किया. इसलिए किसानों, एफ़पीओ और निवेशकों के बीच डील करवाने के लिए छह टेबल लगाई गई. इनमें अलग-अलग टेबल पर मेडिशनल प्लांट, सीड प्रोडक्शन एंड प्रोसेसिंग, फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्रोडक्शन, मसाला उत्पादन, फिशरीज एंड एनिमल प्रोडक्ट और अन्य कृषि उत्पादों को लेकर डील हुई.
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मेघालय में दुनिया की सबसे तीखी मिर्च भूत झोलकिया होती है, जिसे किंग चिली भी कहते हैं. मसाला फसलों के रूप में यहां किसान काली हल्दी, सफेद हल्दी, लाकाडोंग हल्दी, काली अदरक, काली मिर्च और तेजपत्ता उगाते हैं. अनाजों में चावल और मक्का, जबकि फलों में खासी संतरा और अनानास की बड़े पैमाने पर खेती होती है. मसालों पर काफी लोगों ने बातचीत की. यही नहीं अनानास की कैंडी बनाने को लेकर भी कोशिश हो रही है ताकि किसानों का नुकसान न हो.
नार्थ-ईस्ट की कृषि उपज ऑर्गेनिक है. वो यहां के वातावरण की वजह से विशेष गुणों वाली है. लेकिन उसकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग नहीं हुई है. दूसरी ओर देश में ऐसे लोग भी हैं जिनके पास कृषि क्षेत्र में लगाने के लिए पैसा है लेकिन आइडिया नहीं है और वो लोग भी हैं जिनके पास आइडिया है लेकिन पैसा नहीं है. खासतौर पर एफ़पीओ और स्टार्टअप. इसलिए ऐसे लोगों को आमने-सामने बैठाकर एक महत्वपूर्ण गैप भरने की कोशिश शुरू की गई.
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