बिहार में बेल की खेती के लिए मिलेगी फ्री ट्रेनिंग, ATMA ऑफिस में तुरंत करें अप्लाई

बिहार में बेल की खेती के लिए मिलेगी फ्री ट्रेनिंग, ATMA ऑफिस में तुरंत करें अप्लाई

एटीएमए के जिला निदेशक अजीत कुमार ने कहा कि ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने वाले किसानों को काफी फायदा होगा. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य इन 30 किसानों को बागवानी में एक्सपर्ट बनाना है. यही कारण है कि ट्रेनिंग कार्यक्रम में बेल की खेती के कई पहलुओं को शामिल किया गया है, ताकि किसानों को बागवानी से संबंधित पूरी जानकारी मिले.

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बिहार में बेल की खेती के लिए मिलेगी फ्री ट्रेनिंग,  ATMA ऑफिस में तुरंत करें अप्लाईबिहार में बेल की खेती को मिलेगा प्रोत्साहन. (सांकेतिक फोटो)

बिहार सरकार प्रदेश में बागवानी को बढ़ावा दे रही है. इसके तहत वह फल और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही है. खास बात यह है कि अब किसानों को बेल की खेती करने के लिए फ्री में ट्रेनिंग भी दी जाएगी. बिहार सरकार का मानना है कि मार्केट में बेल की बहुत डिमांड है, लेकिन इसका उत्पादन जरूरत के मुताबिक नहीं है. ऐसे में अगर प्रदेश के किसान व्यावसायिक रूप से बेल की खेती करते हैं, तो उन्हें अच्छी कमाई होगी. इससे उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा. वहीं, बेल की खेती करने वाले इच्छुक किसान बेगूसराय स्थित एटीएमए कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं.

न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) ने बेगूसराय जिले में बेल की खेती को बढ़ावा देने के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण सत्र की घोषणा की है. यानी जिले के किसानों को बेल की खेती करने और उसकी रखरखाव के बारे में फ्री में बताया जाएगा. एटीएमए के जिला निदेशक अजीत कुमार का कहना है कि बेगूसराय के 30 किसानों को ट्रेनिंग के लिए चुना गया है. इन किसानों को अयोध्या में आचार्य नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में बेल की खेती करने को लेकर ट्रेनिंग दी जाएगी. उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग प्रोग्राम समाप्त होने के बाद किसानों को सब्सिडी पर बेल के पौधे उपलब्ध कराए जा सकते हैं. इसके लिए सरकार योजना बना रही है.

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मार्केट में बेल की बहुत डिमांड

वहीं, बेगूसराय के स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि वे गर्मी के मौसम में बेल का जूस बेचते हैं. लेकिन उन्हें बेगूसराय में बेल नहीं मिलता है. इसके लिए उन्हें  झारखंड और दूसरे राज्यों से बेल खरीदना पड़ता है, जो ज्यादा महंगा पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर जिले में किसान बेल की खेती कते हैं, तो हम लोगों के लिए अच्छा होगा. सस्ते दर पर घर में बेल मिल जाएंगे. साथ ही किसानों की भी मोटी कमाई हो जाएगी. ऐसे भी बेल का जूस शरीर के लिए काफी फायदेमंद है. इसमें फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है. इसका नियमित सेवन करने से शरीर स्वस्थ्य रहता है.

बेल का  पौराणिक महत्व

कृषि एक्सपर्ट की माने तो बेल भारत का एक प्रसिद्ध फल है. इसकी अपना पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व है. इसके पत्ते को पूजा- पाठ में भी इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शंकर भगवान पर बेलपत्र चढ़ाने से वे बहुत खुश होते हैं. यही वजह है कि शिवालयों के बाहर बेल के पत्ते की भी बिक्री होती है. यानी किसान अगर बेल की खेती करते हैं, तो फल के साथ-साथ बेलपत्र बेचकर भी वे अच्छी कमाई कर सकते हैं.

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आवेदन के लिए यहां करें संपर्क

एटीएमए के जिला निदेशक अजीत कुमार ने कहा कि ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने वाले किसानों को काफी फायदा होगा. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य इन 30 किसानों को बागवानी में एक्सपर्ट बनाना है. यही कारण है कि ट्रेनिंग कार्यक्रम में बेल की खेती के कई पहलुओं को शामिल किया गया है, ताकि किसानों को बागवानी से संबंधित पूरी जानकारी मिले. अधिक जानकारी और आवेदन के लिए, इच्छुक किसान बेगूसराय स्थित एटीएमए कार्यालय में जा सकते हैं.

 

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