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बिहार में लागू हुआ चौथा कृषि रोड मैप... जानें क्या होंगे काम, क‍िसानों को क‍ितना म‍िलेगा लाभ

बिहार में लागू हुआ चौथा कृषि रोड मैप... जानें क्या होंगे काम, क‍िसानों को क‍ितना म‍िलेगा लाभ

चौथे कृषि रोड मैप में पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा टिशू कल्चर आधारित पौधों के उत्पादन पर जोर दिया जाएगा. चौथे रोड मैप में सूबे की सरकार कृषि से जुड़ी विकास कार्यों पर करीब 1.62 लाख करोड़ रुपए खर्च करने वाली है. 

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पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा 2023- 28 तक पर्यावरण जलवायु के सापेक्ष में अधिक वृक्षारोपण किया जाएगा,फोटो: किसान तक पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा 2023- 28 तक पर्यावरण जलवायु के सापेक्ष में अधिक वृक्षारोपण किया जाएगा,फोटो: किसान तक

बिहार में तीन कृषि रोड मैप के आधार पर काम हो चुका है. तो वहीं चौथा कृषि रोड मैप एक अप्रैल 2023 से लागू हुआ है, जि‍सकी अवध‍ि 31 मार्च 2028 तक है. इस अवधि में सूबे की सरकार कृषि से जुड़े विकास कार्यों पर करीब 1.62 लाख करोड़ रुपये खर्च करने वाली है. चौथे कृषि रोड मैप के जरिए सरकार कृषि के साथ अन्य माध्यमों से किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहती है. इसी के तहत पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा आने वाले पांच साल में प्रस्तावित विकास कार्यों का खाका खिंचा जा चुका है. चौथे कृषि रोड मैप के तहत विभाग प्राकृतिक वन भूमि पर 350 लाख पौधों का रोपण, एक लाख हेक्टेयर में मृदा जल संरक्षण तथा 1500 हेक्टेयर मीटर जल संचयन क्षमता की Garland Trench निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. साथ ही टिशू कल्चर आधारित पौधशालाओं की स्थापना की जाएगी. 

पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के द्वारा 2023- 28 तक पर्यावरण जलवायु के सापेक्ष में अधिक वृक्षारोपण किया जाएगा. साथ ही किसानों को व्यावसायिक पौधे लगाने को लेकर प्रेरित किया जाएगा. चतुर्थ कृषि रोड मैप में 12 विभागों को सम्मिलित किया गया है. इन्हीं विभागों में से एक पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग है, जो आने वाले पांच साल में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करेगी. सूबे में कृषि के सर्वांगीण विकास के साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए राज्य में तीन कृषि रोड मैप के बाद चौथा रोड मैप लागू कर दिया गया है. पिछले दिनों हुई कैबिनेट बैठक के बाद अपर मुख्य सचिव, डॉ.एस सिद्धार्थ ने बताया कि तीन कृषि रोड मैप की अवधि पूरी हो जाने के बाद चौथे कृषि रोडमैप का क्रियान्वयन अब शुरू किया जा रहा है. 

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टिशू कल्चर आधारित विभिन्न पौधों के उत्पादन पर जोर

राज्य में टिशू कल्चर तकनीक से बांस के पौधों का उत्पादन भागलपुर एवं अररिया में किया जा रहा है. वहीं चौथे कृषि रोड मैप में इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (आईसीएफआरई) के अंतर्गत रांची स्थित आईएफपी के सहयोग से विभाग के पास पौधशाला में उपलब्ध स्थलों पर टिशू कल्चर पौधशालाओं का स्थापना की जाएगी. इनमें मुख्य रूप से बांस की विभिन्न प्रजातियां, काला शीशम, सागवान, महोगनी, यूकेलिप्टस सहित अन्य प्रजातियों के पौधों को तैयार किया जाएगा. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के इच्छुक  किसान जीविका दीदी के सहयोग से किसान पौधशाला  स्थापित कर सकेंगे. आने वाले पांच वर्षों के दौरान किसान पौधशाला से  530 लाख पौधे तैयार करने का लक्ष्य है. 

पांच साल में अधिक से अधिक पेड़ लगाने की तैयारी 

चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत आने वाले पांच साल के दौरान विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाएगा.इस समय अवधि में प्राकृतिक वन भूमि सहित प्राकृतिक वनों के बाहर करीब 20 करोड़ पौधों को लगाया जाएगा. पांच साल के दौरान सरकारी सहित निजी क्षेत्रों में स्थानीय मिट्टी,जलवायु को देखते हुए बरगद, पीपल, जामुन, अर्जुन, बांस, बबूल, नीम, आंवला, शीशम, महोगनी, कचनार, सागवान, बोतल ब्रश, अमलतास सहित अन्य पौधे लगाए जाएंगे. 

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चौथे कृषि रोड मैप के जरिये आधुनिक कृषि को बढ़ावा

चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत कृषि के आधुनिकीकरण पर ध्यान दिया जाएगा. इसके साथ ही उत्पादों की मार्केटिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ राज्य के उत्पादों की ब्रांडिंग तथा कृषि बाजार के विकास को लेकर योजनाबद्ध ढंग से काम किया जाएगा. वहीं राज्य में ही बेहतर गुणवत्ता वाले बीज का विकास कराया जाएगा. साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन वाले यंत्रों का निर्माण भी किया जाएगा. मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इस रोड मैप में  कृषि के सर्वांगीण विकास के साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने पर विशेष ध्यान रहेगा.