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कोरोनाकाल में द‍िल्ली से हुई गांव वापसी, अब पोल्ट्री फार्म‍िंग से लाखों में कमा रहे

कोरोनाकाल में द‍िल्ली से हुई गांव वापसी, अब पोल्ट्री फार्म‍िंग से लाखों में कमा रहे

दरभंगा जिले के रहने वाले अनिल कुमार राय पोल्ट्री के व्यवसाय से मोटी कमाई कर रहे हैं. कोरोना में ढाबा का व्यवसाय बंद होने के बाद पॉल्ट्री से जुड़ गए. आज शहर वाली जिंदगी से लाख गुना बेहतर जीवन गांव में गुजार रहे हैं.

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 दरभंगा जिले के रहने वाले अनिल कुमार राय पोल्ट्री के व्यवसाय से मोटी कमाई कर रहे हैं.फोटो-किसान तक दरभंगा जिले के रहने वाले अनिल कुमार राय पोल्ट्री के व्यवसाय से मोटी कमाई कर रहे हैं.फोटो-किसान तक

रोजी-रोजगार की तलाश में हर रोज लोग गांव की पगडंडियों को पीछे छोड़ते हुए बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. वहीं कुछ लोग बड़े शहरों में स्थापित रोजगार को छोड़ गांव की ओर पलायन कर रहे हैं. बिहार राज्य के दरभंगा जिले के रहने वाले अनिल कुमार राय की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. देश की राजधानी दिल्ली में कभी अन‍िल ढाबा मालिक हुआ करते थे, लेकिन कोरोना के समय रोजगार चौपट होने के बाद गांव में पोल्ट्री फार्म की मदद से अच्छी कमाई कर रहे हैं. इनका मानना है कि कोरोना के समय उनका बना बनाया रोजगार भले ही चौपट हो गया, लेकिन गांव आने के बाद पोल्ट्री के व्यवसाय ने पंचायत स्तर पर एक अलग पहचान दिलाई है. यह शायद दिल्ली में पूरी उम्र बिताने के बाद भी नहीं मिलता.

मखाना की खेती के लिए मशहूर दरभंगा जिला में अब लोग पोल्ट्री फार्म रोजगार से जुड़ रहे हैं. अनिल कुमार राय वेलवारा गांव के निवासी है, जो पिछले तीन साल से मुर्गी पालन से जुड़कर सालाना 10 लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. इनका मानना है कि वह दिल्ली में जितनी कमाई करते थे.उसकी तुलना में गांव में कम कमाई है, लेकिन गांव में सुकून हूं.

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ट्रेनिंग नहीं सोशल मीडिया से सीखा पोल्ट्री फार्म चलाने के गुर

पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद 1994 में अनिल दिल्ली रोजगार की तलाश में निकल गए. वहीं गांव से जाने और आने के बीच में कई रोजगार किए. कोरोना काल से पहले तक अनिल एक ढाबा चला रहे थे, लेकिन कोरोना के समय रोजगार चौपट होने के बाद 2021 में गांव चले आए. वह कहते हैं कि 2009 में पत्नी की गांव में ही शिक्षिका के पद पर नौकरी लग गई. उसके बाद पिता,पुत्र ढाबा चला रहे थे. 2021 में कोरोना के दौर में गांव वापस आने के बाद मन में सवाल आया कि गांव में कौन सा रोजगार किया जाए. उसके बाद सोशल मीडिया पर मुर्गी पालन के बारे में जानकारी हासिल किया. साथ ही अन्य लोगों की मदद से जानकारी हासिल की. फिर मुर्गी पालन के व्यवसाय से जुड़ गया. आगे वह बताते हैं कि पिछले तीन साल से मुर्गी पालन के व्यवसाय से जुड़ा हूं. वह अपने पंचायत ढोढ़ीया वेलवारा के उप सरपंच भी है. आज गांव सहित पंचायत स्तर पर लोग जानने लगे हैं.

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सालाना 10 लाख की कमाई

अनिल कुमार राय 250 फीट लंबा और 27 फीट चौड़ा मुर्गी फार्म में करीब एक स्लॉट में 4500 से के आसपास मुर्गी का पालन करते हैं. वह कहते हैं कि वह साल में करीब 7 मुर्गी का स्लॉट डालते हैं. वहीं एक स्लॉट के दौरान दो से ढाई लाख रुपये तक खर्च आता है. वहीं कमाई एक से डेढ़ लाख तक की हो जाती हैं.वह बॉयलर के साथ देसी मुर्गी पालन करते हैं. सालाना करीब 10 लाख रुपए तक की कमाई करते हैं.