फसलों का नुकसान होना किसानों के लिए एक समस्या की बात रहती है. इसलिए किसान इसके लिए तैयार भी रहते हैं. लेकिन इससे उनका भारी नुकसान होता है. उनकी मेहनत मजूरी की कमाई मारी जाती है. इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने PM Kisan Fasal Bima Yojana की शुरुआत की है. इस योजना में किसानों को बहुत कम खर्च में फसल नुकसान का क्लेम यानी कि मुआवजा मिलता है. किसानों की फसल खराब होने पर उन्हें सरकार की फसल बीमा योजना का ही सहारा होता है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) केंद्र की मोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है.
अगर आपको भी फसल बीमा योजना के लिए जानकारी चाहिए, तो आप ब्लॉक समन्वयक से बात कर सकते हैं. आइए जानते हैं ब्लॉक समन्वयक से किस प्रकार और क्या-क्या मदद ले कर सकते हैं. इसकी विस्तार से जानकारी के लिए देखिए पूरा वीडियो और जानिए पूरी बात.
किसान भाइयों...जब न हो किसी बात का भान
— Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (@pmfby) November 9, 2023
तो ब्लॉक समन्वयक से संपर्क कर पूरी जानकारी और लें ज्ञान..
हमारे ब्लॉक समन्वयक संपर्ककर्ता के रूप में काम करते हैं. जो किसानों के नामांकन, हानि, सूचना, शिकायत निवारण और प्रक्रिया स्पष्टीकरण के लिए दिशा निर्देशक की भूमिका निभाते हैं. आप ब्लॉक… pic.twitter.com/SDq0LQ9ZSF
ब्लॉक समन्वयक संपर्ककर्ता के रूप में काम करते हैं. जो किसानों के नामांकन, हानि, सूचना, शिकायत निवारण और प्रक्रिया स्पष्टीकरण के लिए दिशा निर्देशक की भूमिका निभाते हैं. ब्लॉक समन्वयक किसानों को योजना से संबंधित समस्याओं का समाधान करने में मदद करते हैं. ये बीमा कंपनी के क्षेत्रीय और जिला कार्यालयों के साथ समन्वय बनाते हैं. ये फसल कटाई प्रयोग (CCE) तकनीकी कामों और समस्याओं के संचालन के लिए स्थानीय सरकारी अधिकारियों के साथ संपर्क करते हैं. साथ ही ब्लॉक समन्वयक को अपने किसानों के पास जाकर उनकी समस्याओं को हल करें.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 फरवरी 2016 को की थी. इस योजना के तहत फसलों का बीमा होता है. इसमें फसलों का सूखा, आंधी-तूफ़ान, बेमौसम बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि, कीट संक्रमण, चक्रवात जैसे दुश्वारियों से बीमा सुरक्षा दी जाती है. किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की स्थिति में किफायती दर पर सरकार की ओर से बीमा मिलता है. इसमें फसल की बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक पूरे फसल चक्र से जुडी गतिविधियों के दौरान फसल के नुकसान के ख़िलाफ़ सुरक्षा मिलती है.
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