कृषि मंत्रालय ने किसानों को खेती-किसानी से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए बनाए गए किसान कॉल सेंटर (KCC-Kisan Call Center) की कार्यप्रणाली में बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है. ऐसा करने के पीछे किसानों की कम होती कॉल को बड़ी वजह माना गया है. अब किसानों के प्रश्नों का रीयल टाइम पर उत्तर दिया जाएगा. यह काम करने में सहायता करने के लिए एडवांस संचार माध्यमों जैसे चैटबॉट, वीडियो कॉलिंग, ऑडियो क्लिप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि की मदद ली जाएगी. इनके जरिए किसान कॉल सेंटरों का कायापलट किया जाएगा. हालांकि, सरकार ने इस बदलाव की कोई समय सीमा नहीं बताई है. कृषि मंत्रालय ने 21 जनवरी 2004 को किसान कॉल सेंटर बनाने की शुरुआत की थी. जिसका मकसद किसानों की अपनी बोली में टेलीफोन कॉल पर खेती से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देना था.
समय के साथ इन कॉल सेंटरों की व्यवस्था में भी बदलाव की जरूरत होने लगी है. क्योंकि इनमें आने वाली किसानों की कॉल कम होने लगी है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक साल 2020-21 में किसान कॉल सेंटरों में 58.38 लाख कॉल आई थी. जिसमें से 3.64 लाख का उत्तर नहीं दिया जा सका था. जबकि 2021-22 में यह कम होकर 47.87 लाख रह गई और इनमें से 2.06 लाख कॉल का जवाब नहीं दिया गया. मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि 2022-23 में घटकर 35.22 लाख कॉल ही रह गई. इस साल 1.69 कॉल का जवाब नहीं दिया गया. महज तीन साल में ही 23.16 लाख कॉल कम हो गई. इसलिए अब कॉल सेंटरों के कामकाज में बदलाव की पहल हो रही है.
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अब सवाल यह है कि किसान कॉल सेंटरों की कार्यप्रणाली में बदलाव से बदलेगा क्या? केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा है कि किसान फसल उगाने के मौसम के दौरान टेक्नोलॉजी, कीट अटैक, रोग नियंत्रण, बाजार और मौसम संबंधित जानकारी आसानी से पा सकता है. किसान अपने क्षेत्र की समस्याओं की तस्वीरें भेज सकते हैं और केसीसी पर वीडियो कॉल कर सकते हैं और अपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं. किसान केंद्र, राज्य और संघ राज्य क्षेत्र सरकारों द्वारा किसानों के लाभ के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
किसान कॉल सेंटर एजेंटों को फार्म टेली एडवाइजर (एफटीए) के रूप में जाना जाता है. ये एडवाइजर पशुपालन, मत्स्य पालन, कुक्कुट, मधुमक्खी पालन, बागवानी, रेशम उत्पादन, एग्रीकल्चर बिजनेस, जैव प्रौद्योगिकी, गृह विज्ञान और एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में स्नातक, पीजी और डॉक्टरेट हैं. अगर कॉल तुरंत रिसीव नहीं हो पाती है तो कॉल सेंटर से बाद में किसान को फोन किया जाता है. इसमें रजिस्ट्रेशन करने पर किसानों को टेक्स्ट मैसेज या वाइस मैसेज भी भेजने का प्रावधान है.
देश में 21 किसान कॉल सेंटर हैं. जिसमें सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक फोन करके अपनी खेती से जुड़ी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं. फार्म टेली एडवाइजर जवाब देते हैं. इसका नंबर 1800-180-1551 है. इस पर लैंडलाइन या मोबाइल दोनों से कॉल संभव है. इसके जरिस आप घर बैठे कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले सकते हैं. इसमें 22 भाषाओं में जानकारी मिलती है. कोशिश की गई है कि किसानों को अपनी स्थानीय भाषा में जानकारी मिले. इस पर रोजाना करीब 10 हजार किसान कॉल करते हैं.
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