केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को सरकार ने कई बड़े फैसले लिए. इसमें दो फैसले किसानों से जुड़े हैं. ये दो फैसले यूरिया प्लांट और देश में डेयरी के विकास से जुड़े हैं. इन दोनों फैसलों से देश के लाखों किसानों को फायदा होगा. असम में यूरिया प्लांट की मांग लंबे दिनों से चली आ रही थी जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी है. उसी तरह, पशुपालन के महत्व को देखते हुए डेयरी विकास से जुड़े काम में सरकार करोड़ों रुपये खर्च करने जा रही है जिसका ऐलान आज कैबिनेट बैठक में किया गया.
कैबिनेट ब्रीफिंग में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, कैबिनेट ने डेयरी विकास के लिए संशोधित राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPDD) को मंजूरी दी है. संशोधित एनपीडीडी, एक केंद्रीय क्षेत्र योजना है, जिसे अतिरिक्त 1000 करोड़ रुपये के साथ बढ़ाया गया है, जिससे 15वें वित्त आयोग (2021-22 से 2025-26) की अवधि के लिए कुल बजट 2790 करोड़ रुपये हो गया है. यह पहल डेयरी बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और विस्तार पर केंद्रित है, जिससे इस क्षेत्र की वृद्धि और विकास होगा.
वैष्णव ने डेयरी विकास के बारे में कहा कि सरकार का ध्यान कोऑपरेटिव के माध्यम से डेयरी के विकास पर केंद्रित है. इस प्रोजेक्ट में किसानों को दूध उत्पादन कंपनी खोलने की सुविधा दी जाएगी. इसमें सबसे बड़ा फोकस डेयरी के जरिये दूध की सरकारी खरीद और दूध के प्रोडक्ट में वैल्यू एडीशन करने पर है.
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वैष्णव ने बताया कि देश में कोऑपरेटिव कितनी तेजी से बढ़ रहा है, इसका नमूना है कि 2013-14 में 342 लाख किलो दूध हर दिन उत्पादन होता था जो 2023-24 में बढ़कर 6628 लाख किलो प्रति दिन हो गया. दस साल पहले देश में जहां देश में कोऑपरेटिव के जरिये हर दिन 471 लाख लीटर दूध की प्रोसेसिंग होती थी. वहीं अब बढ़कर 1074 लाख लीटर प्रति दिन हो गई है.
वैष्णव ने असम के यूरिया प्लांट के बारे में बताया कि नारूप अमोनिया यूरिया प्लांट प्रोजेक्ट में एक जॉइंट वेंचर बनेगा जिसमें असम सरकार, बीवीएफसीएल, एचयूआरएल, एनएफएल और ऑयल इंडिया लिमिटेड शामिल होंगे. इन सभी कंपनियों के जॉइंट वेंचर और 10601 करोड़ रुपये के निवेश से यूरिया का निर्माण होगा. इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से असम सहित पूरे उत्तरपूर्व में बड़ा बदलाव आएगा जिसमें यूरिया की उपलब्धता बढ़ेगी. उत्तर पूर्व के राज्यों के अलावा बंगाल को इस प्रोजेक्ट का लाभ मिलेगा. यूरिया प्लांट के लिए गैस की अधिक जरूरत होगी जिसे उत्तरपूर्वी राज्यों से मुहैया कराया जाएगा. इसके अलावा गैस ग्रिड से भी यूरिया प्लांट को गैसी सप्लाई की जाएगी. यह प्लांट 48 महीने में बनकर तैयार हो जाएगी.
इस यूरिया प्लांट के लिए असम सरकार ने मंजूरी दे दी है. इस प्लांट के बनने से पूरे उत्तरपूर्व में रोजगार के अवसर पैदा होंगे. साथ ही यूरिया की सप्लाई बढ़ेगी. आगे चलकर इस प्लांट से यूरिया का निर्यात हो सकेगा. इस प्लांट से म्यांमार, भूटान और बांग्लादेश को यूरिया का निर्यात हो सकता है. घरेलू स्तर पर बात करें तो इस प्लांट के बनने से कामरूप और असम के आसपास के राज्यों में यूरिया ढुलाई का खर्च बचेगा.
दूसरे बड़े फैसले के बारे में वैष्णव ने कहा, कैबिनेट ने ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (BVFCL), नामरूप, असम के मौजूदा कॉम्प्लेक्स में एक नया ब्राउनफील्ड अमोनिया-यूरिया कॉम्प्लेक्स नामरूप IV फर्टिलाइजर प्लांट लगाने को मंजूरी दी है. इस परियोजना से उत्तरपूर्व क्षेत्र में यूरिया की उपलब्धता में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा. इस प्लांट से असम, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों को भी लाभ होगा.
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इसके अलावा, कैबिनेट ने वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए बढ़ाए गए आवंटन के साथ संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन को लागू करने को मंजूरी दी. यह मिशन कृत्रिम गर्भाधान (AI) और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के माध्यम से दूध उत्पादन की उत्पादकता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करेगा.
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