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तेलंगाना में तेजी से बढ़े पीएम किसान योजना के लाभार्थी, 12 माह में 6 लाख नए किसान जुड़े

तेलंगाना में तेजी से बढ़े पीएम किसान योजना के लाभार्थी, 12 माह में 6 लाख नए किसान जुड़े

साल 2018-19 के बाद के वर्षों में पीएम किसान के लाभार्थियों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई. वित्तीय वर्ष 2020-21 में इसकी संख्या बढ़ कर 85.83 लाख तक पहुंच गई, जो अब तक की सबसे अधिक है. तब इन किसानों के खातों में DBT मोड के माध्यम से 5,185 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई थी.

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तेलंगाना में पीएम किसान के लाभार्थी. (सांकेतिक फोटो) तेलंगाना में पीएम किसान के लाभार्थी. (सांकेतिक फोटो)

तेलंगाना में लगभग 80 लाख किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के लाभार्थी हैं. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार, केंद्र सरकार ने इस साल 22 जुलाई तक पीएम-किसान के तहत लाभार्थी किसानों के खातों में अब तक 27,489 करोड़ रुपये जारी किए हैं. हालांकि, इस योजना की शुरुआती साल यानी 2018-19 में 52.95 लाख लाभार्थी थे. तब इन किसानों के खातों में 1,069 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018-19 के बाद के वर्षों में पीएम किसान के लाभार्थियों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई. वित्तीय वर्ष 2020-21 में इसकी संख्या बढ़ कर 85.83 लाख तक पहुंच गई, जो अब तक की सबसे अधिक है. तब इन किसानों के खातों में DBT मोड के माध्यम से 5,185 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई थी. इससे पिछले वर्ष यानी 2019-20 में 84.69 लाख किसानों को उनके खातों में 5,079 करोड़ रुपये मिले थे.

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लाभार्थियों की संख्या में कमी

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में लाभार्थियों की संख्या में कमी देखी गई है, जिसमें 2023-24 में 76.59 लाख किसानों को 4,857 करोड़ रुपये का लाभ मिला और चालू वित्त वर्ष में अब तक 71.69 लाख किसानों को 1,492 करोड़ मिले हैं. दिलचस्प बात यह है कि तेलंगाना में पीएम-किसान के तहत लाभ लेने वाले किसानों की संख्या पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश से कहीं अधिक है, जहां इस अवधि के दौरान 15,772 करोड़ रुपये का DBT हुआ और लाभार्थियों की संख्या लगभग 49 लाख थी.

याद रहे कि पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पीएम-किसान योजना के शुभारंभ का दावा करते हुए कहा था कि यह योजना देश में पहली बार उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई. उनके मुताबिक, किसान निवेश सहायता योजना रायथु बंधु पर आधारित है. हालांकि, रायथु बंधु योजना को विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसने दावा किया कि रायथु बंधु के नाम पर अयोग्य लाभार्थियों को राशि दी जा रही है.

कांग्रेस का आरोपा

अपने दावों को पुष्ट करते हुए, पिछले साल सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने आरोप लगाया कि करदाताओं का पैसा उन जमीनों पर जमा किया जा रहा है, जो खेती के अधीन नहीं हैं और जो रियल एस्टेट उद्यमों के पास हैं. कांग्रेस सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कवायद शुरू की थी कि रायथु बंधु के तहत लाभ, जिसका नाम बदलकर रायथु भरोसा कर दिया गया है, को संतृप्ति मोड पर लागू करने के बजाय भूमि पर खेती करने वाले पात्र किसानों तक पहुंचाया जाए. 

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