बिहार में नीरा के रस का व्यापार करने वाले लोगों और ताड़ के पेड़ मालिकों के लिए बिहार सरकार बड़ी खुशखबरी लेकर आई है. अब बिहार सरकार ताड़ के पेड़ मालिकों से लेकर नीरा उतारने वाले लोगों को अनुदान देने का निर्णय किया है. राज्य सरकार ‘मुख्यमंत्री नीरा संवर्धन योजना’ के तहत रोजगार और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ताड़ के पेड़ मालिकों और टैपर्स (पेड़ से नीरा रस निकालने वाले व्यक्ति) को प्रोत्साहन राशि देगी.
बिहार सरकार द्वारा जारी सूचना के अनुसार, प्रदेश में सबसे अधिक टैपर और ताड़ के पेड़ नालंदा, गया, मुजफ्फरपुर और वैशाली जिलों में चिन्हित किए गए हैं. वहीं,मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग और जीविका की संयुक्त पहल से यह योजना इस साल अप्रैल से जुलाई तक (लगभग 65 दिन) के ताड़ी के मौसम के लिए लागू की गई है. जिसके तहत 20 हजार टैपर्स को 8 रुपये प्रति लीटर उत्पादित नीरा की दर से प्रोत्साहन राशि सीधे उनके बैंक खाते में दी जाएगी. साथ ही ताड़ पेड़ मालिकों को भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
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राज्य सरकार नीरा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ताड़ के पेड़ मालिकों को 3 रुपये प्रति लीटर उत्पादित नीरा की दर से अधिकतम 10 पेड़ों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देगी. इसमें ताड़ के पेड़ मालिक को 585 रुपये प्रति पेड़ की दर से अधिकतम दस पेड़ों के स्वामित्व और टैपिंग के लिए 5,850 रुपये प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा. वहीं, मुख्यमंत्री नीरा संवर्धन योजना के तहत 10 पेड़ों की टैपिंग करने पर टैपर्स को 15,600 रुपये प्रोत्साहन राशि जीविका समूह की ओर से सीधे उनके बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी.
10 से कम ताड़ पेड़ों के लिए समानुपातिक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. इसके साथ ही ताड़ के पेड़ों को चिन्हित कर मार्किंग के लिए टैपर्स को अलग से प्रति पेड़ 30 रुपये की राशि सरकार देगी.
बिहार सरकार नीरा बिक्री से जुड़े लोगों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही है. जिसको लेकर नीरा बिक्री केंद्र स्थापित करेगी. हाल के समय में नालंदा जिले में सबसे अधिक नीरा बिक्री केंद्र स्थापित किए गए हैं. इसके साथ ही नीरा का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है. इसमें कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, सोडियम और फास्फोरस जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
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इसके अलावा, यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, प्राकृतिक प्रोबायोटिक है और हीमोग्लोबिन बढ़ाने में सहायक है. यही कारण है कि इसे सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है.
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