बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरीराष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर पटना में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से राज्यस्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान बिहार के उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अलावा डेयरी विभाग अलग से खोलने की जरूरत है. वहीं, बिहार मिल्क कोऑपरेटिव फेडरेशन (COMFED) की कार्य-प्रणाली को लेकर विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉक्टर एन. विजयलक्ष्मी ने कहा कि बाजार में दूध से जुड़े कई प्राइवेट और अन्य राज्यों के कोऑपरेटिव उत्पाद बिक रहे हैं. वहीं, COMFED की ‘सुधा’ द्वारा दूध खरीदने की जो रफ्तार है, अगर ऐसी ही चलती रही तो आने वाले दिनों में सहकारिता का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. नए बाजार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को लेकर विकास आयुक्त डॉ. एस. सिद्धार्थ ने अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए.
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस को लेकर राजधानी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार को दूध के क्षेत्र में और बेहतर करने के लिए अब एक नए विभाग यानी डेयरी विभाग खोलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस विषय को लेकर मैं आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर अलग डेयरी विभाग खोलने की बात कहूंगा, क्योंकि डेयरी विभाग अलग खुलने से हम दूध के क्षेत्र में और बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री सुरेंद्र मेहता ने कहा कि पशुपालन से जुड़े हुए तमाम किसानों के लिए बिहार सरकार खड़ी है और उनके विकास को लेकर जिस तरह की भी योजनाएं शुरू करनी चाहिए, वे तमाम योजनाएं शुरू करके उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने का काम बिहार सरकार करेगी.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉक्टर एन. विजयलक्ष्मी ने कहा कि बिहार पशुपालन के क्षेत्र में पूरे देश में चौथे स्थान पर है, लेकिन दूध उत्पादन में अभी हम काफी पीछे हैं, जिसको लेकर हमें और काम करने की जरूरत है. उन्होंने बिहार मिल्क कोऑपरेटिव फेडरेशन (COMFED) के कार्यों में आ रही सुस्ती पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि वर्तमान कार्य-प्रणाली काफी धीमी है, जबकि आज बाजार में कई दूध से जुड़े विभिन्न उत्पाद के साथ निजी कंपनियां सक्रिय हो चुकी हैं. उनकी तुलना में ‘सुधा’ की रफ्तार बहुत कम है. यदि स्थिति ऐसे ही बनी रही तो आने वाले दिनों में उसका अस्तित्व खत्म हो सकता है.
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि आज भी COMFED करीब 22 लाख लीटर दूध की खरीदी कर रही है, जबकि उसकी क्षमता 1 करोड़ लीटर की है. इतनी बड़ी संस्था की यह स्थिति बिल्कुल उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार तो COMFED को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए न तो यहां से कोई योजना बनाई जाती है और न ही प्रस्ताव भेजे जाते हैं.
अधिकारियों को फटकार लगाते हुए उन्होंने कहा— “हम बोलेंगे तभी आप काम करेंगे, वरना चुपचाप बैठे रहते हैं. आप लोग खुद से पहल क्यों नहीं करते? वैसी समितियों को बंद कर देना चाहिए, जो रोज केवल 10 लीटर दूध देती हैं. आज के समय में समितियों को 500 लीटर दूध देने की जरूरत है, न कि 10 लीटर.
बिहार के विकास आयुक्त डॉ. एस. सिद्धार्थ ने COMFED और सुधा की कार्य-प्रणाली पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अब समय बदल चुका है. बाजार में दूध सहित डेयरी से जुड़ी कई प्राइवेट कंपनियां आ चुकी हैं, प्रतिस्पर्धा बढ़ा है. अब COMFED के अधिकारियों को पुरानी व्यवस्था से बाहर निकलकर नई व्यवस्था के साथ जुड़कर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आप लोग सुधा से जुड़े उत्पादों की क्वालिटी में सुधार लाने के साथ सिस्टम के अंदर कार्य-प्रणाली में भी सुधार लाएं.
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