बिहार में इन दिनों लोग भूमि सर्वेक्षण के लिए अपने कागजात जमा करने में व्यस्त हैं. इसी बीच, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग 16 अगस्त से 20 सितंबर तक ‘राजस्व महा-अभियान’ शुरू करने जा रहा है. किसान तक से विशेष बातचीत में विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक सिंह ने बताया कि अब तक 4.5 करोड़ जमाबंदी ऑनलाइन हो चुकी हैं, लेकिन दाखिल-खारिज और परिमार्जन में कई तरह की त्रुटियां देखने को मिली हैं. साथ ही, प्रदेश में ऐसी बड़ी आबादी है, जिनकी जमीनें अब भी उनके पूर्वजों के नाम पर दर्ज हैं. इन समस्याओं के समाधान के लिए विशेष अभियान शुरू किया जा रहा है, जिसके तहत ऑनलाइन जमाबंदी में सुधार, उत्तराधिकार नामांतरण, बंटवारा नामांतरण, और छूटी हुई जमाबंदी को ऑनलाइन करने के लिए आवेदन लिए जाएंगे.
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि जिनकी जमीनें उनके पूर्वजों के नाम पर हैं, और परिवार के लोग वर्षों से उस जमीन पर खेती कर रहे हैं या आपस में बांट चुके हैं, वे अपनी हिस्सेदारी की जमीन अपने नाम पर करवाना चाहते हैं. इसके अलावा, ऑनलाइन पोर्टल पर खाता और कुल जमीन का विवरण तो है, लेकिन प्लॉटों की जानकारी नहीं है या किसी तरह की अन्य गलती है. इन सभी समस्याओं के निस्तारण के लिए अब लोगों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा.
विभाग के कर्मी घर-घर जाकर संबंधित समस्याओं से जुड़े प्रपत्र देंगे, और लोग इन्हें भरकर पंचायत स्तर पर आयोजित शिविरों में जमा करेंगे, जहां प्रपत्रों की प्रारंभिक एंट्री की जाएगी. इन प्रपत्रों में वह भी जानकारी दी जा सकती है, जो भूमि सर्वेक्षण के दौरान लोगों के द्वारा गलत दी गई है. वह भी इसमें सही जानकारी दे सकते हैं.
दीपक सिंह ने बताया कि प्रत्येक हल्का या पंचायत स्तर पर एक सप्ताह के अंतराल पर दो शिविर आयोजित होंगे. इन शिविरों में लोग अपने कागजात जमा करेंगे, जहां कर्मी प्रारंभिक एंट्री करेंगे और आवेदकों के मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजकर उनका रजिस्ट्रेशन करेंगे, ताकि उन्हें एप्लीकेशन आईडी मिल सके. इसके बाद, अंचल कार्यालय में पूरी जानकारी दर्ज की जाएगी और समयबद्ध तरीके से निष्पादन होगा.
इस अभियान में पंचायत स्तर पर मुखिया, वार्ड सदस्य, सरपंच, उप-सरपंच, उप-मुखिया, पंचायत समिति के सदस्य, प्रमुख, जिला परिषद सदस्य, और जिला परिषद अध्यक्ष शामिल होंगे. साथ ही, कृषि सलाहकारों को भी शामिल करने के लिए कृषि विभाग को पत्र भेजा गया है.
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि बिहार के लगभग 10% पंचायतों में बाढ़ की स्थिति है. ऐसे इलाकों में सामान्य स्थिति होने पर शिविर आयोजित किए जाएंगे. 16 अगस्त से 20 सितंबर तक चलने वाले राजस्व महा-अभियान के दौरान, यदि आवश्यक हुआ, तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 20 सितंबर के बाद भी शिविर लगाए जा सकते हैं. जिसको लेकर जानकारी दी जाएगी.
किसान तक से बातचीत में अपर मुख्य सचिव ने बताया कि जमीन से जुड़े कागजातों में उन लोगों को विशेष सहूलियत दी गई है, जिनकी जमीन उनके नाम पर नहीं है, बल्कि उनके बाबा, दादा या परदादा के नाम पर दर्ज है और जिनका मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है. अब ऐसे मामलों में सरपंच द्वारा तैयार की गई वंशावली में मृत व्यक्ति का उल्लेख किया जाएगा. यह वंशावली मृत्यु प्रमाण पत्र के रूप में भी मान्य होगी.
दीपक सिंह ने कहा कि इस महाअभियान में वे लोग भी शामिल हो सकते हैं, जो भूमि सर्वेक्षण के दौरान अपनी जमीन की पूरी जानकारी दे चुके हैं. लेकिन उनका ऑनलाइन जमाबंदी में सुधार, उत्तराधिकार नामांतरण, बंटवारा नामांतरण या छूटी हुई जमाबंदी का ऑनलाइन अपडेट नहीं हुआ है. वे सभी लोग इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं. वहीं, जिन लोगों ने हाल के वर्षों में जमीन की खरीद-बिक्री की है, उन्हें इस अभियान में शामिल होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनका नाम विभागीय स्तर पर पहले से दर्ज है या प्रक्रिया में है.
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