2 साल पहले कानपुर के व्यापारी पीयूष जैन के घर से 197 करोड रुपए नगदी जीएसटी विभाग की इंटेलीजेंस यूनिट द्वारा बरामद की गई थी जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था. लेकिन 2 साल बाद ही यह रिकॉर्ड इनकम टैक्स की कार्यवाही में टूट गया जहां पर कांग्रेस राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकाने से 351 करोड़ कैश बरामद हुआ. आधिकारियों कहना है कि यह किसी भी जांच एजेंसी द्वारा एक ही ऑपरेशन में जब्त किया गया अबतक का सबसे बड़ा काला धन है.
लेकिन इतनी बड़ी धनराशि मिलने के बाद भी अभी तक धीरज प्रसाद साहू की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई. जबकि इससे कम धनराशि मिलने पर तुरंत ही पीयूष जैन को गिरफ्तार कर लिया गया था. जिनकी जमानत तकरीबन 11 महीने बाद हाई कोर्ट से हुई थी.
दरअसल कांग्रेस सांसद धीरज साहू के ऊपर जो छापे मारी हुई है वह आयकर विभाग ने की है. और इनकम टैक्स एक्ट 1961 के मुताबिक आयकर विभाग के पास गिरफ्तारी का अधिकार नहीं है. इस एक्ट के अंतर्गत छापेमारी और अन्य कार्रवाई में गिरफ्तारी का कोई पप्रावधान नहीं दिया गया है. ज्यादा से ज्यादा सर्च खत्म होने के बाद असेसमेंट और प्रॉसीक्यूशन किया जा सकता है और कोर्ट द्वारा सजा कराई जा सकती है.
ये भी पढ़ें: MP News: कमलनाथ बोले- बीजेपी की सरकार में किसानों के साथ होगा अन्याय, बेतहाशा आएंगे बिजली के बिल
लेकिन पीयूष जैन के ऊपर जो कार्रवाई की गई वह केंद्रीय जीएसटी विभाग की इंटेलीजेंस यूनिट द्वारा की गई. सीजीएसटी सेक्शन 69 के अंतर्गत गिरफ्तारी का प्रावधान है. जो जीएसटी विभाग को इमीडिएट अरेस्ट का पावर देता है. जिसके चलते पीयूष जैन को गिरफ्तार कर लिया गया था और करीबन 1 साल बाद उनकी जमानत हाई कोर्ट से हुई थी.
धीरज साहू की गिरफ्तारी तभी संभव है जब एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट या सीबीआई जैसी एजेंसीज इसमें केस दर्ज करके अपनी शुरू करें. अगर एजेंसीज को लगता है कि इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग हुई है या फिर किसी क्रिमिनल एक्टिविटी के चलते इतनी बड़ी धनराशि को अर्जित किया गया है तो ईडी या सीबीआई इसमें केस दर्ज कर धीरज साहू को गिरफ्तार कर सकती है. (सिमर चावला की रिपोर्ट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today