उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनावों के लिए वोटिंग शुरू हो गई है. लोकसभा चुनाव से पहले यह राज्यसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जोरदार चुनावी लड़ाई के लिए मंच तैयार कर चुके हैं. इन चुनावों में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 10 राज्यसभा सीटों के लिए आठ उम्मीदवार और विपक्षी समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं. बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल सपा के पास सात और तीन सदस्यों को निर्विरोध राज्यसभा भेजने के लिए संख्या है. बीजेपी के आठवें उम्मीदवार के तौर पर संजय सेठ मैदान में हैं. इस एक नाम की वजह से एक सीट पर कड़ा मुकाबला होने की संभावना है.
बीजेपी ने शुरुआत में चुनावों के लिए सात और एसपी ने तीन उम्मीदवार तय किए थे. लेकिन जैसे ही बीजेपी ने पूर्व सांसद संजय सेठ को टिकट दिया, मुकाबला और रोचक हो गया. उद्योगपति और पूर्व सपा नेता सेठ 2019 में बीजेपीमें शामिल हुए. उन्होंने पिछले दिनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के बाकी वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में अपना नामांकन दाखिल किया था. संजय सेठ, लखनऊ के एक प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर हैं. उन्होंने अपना राजनीतिक करियर सपा के साथ शुरू किया और वह समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बहुत करीबी रहे हैं.
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साल 2012 से 2017 तक जब यूपी में सपा की सरकार थी तो उस समय मुलायम सिंह यादव ने संजय को विधान परिषद के सदस्य के तौर पर नामांकित करने की कोशिश की थी. लेकिन तब राज्यपाल राम नाईक ने कुछ नामों को खारिज कर दिया था जिसमें संजय सेठ का नाम भी था. तब मुलायम ने उन्हें राज्यसभा भेजा जिसमें अगले ही साल चुनाव होने वाले थे. जैसे ही यूपी में सत्ता परिवर्तन हुआ और बीजेपी को राज्य की कमान मिली, संजय बीजेपी के टॉप लीडर्स के करीबी हो गए जिसमें गृह मंत्री अमित शाह का नाम भी शामिल है. तब उन्होंने सपा के सदस्य के तौर पर राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और फिर बीजेपी के टिकट पर वहां पहुंचे. राजनीतिक जानकारों की मानें तो संजय की हर राजनीतिक दल में अच्छी छवि है लेकिन यह उन्हें कितना फायदा पहुंचाएगी, यह समय बताएगा.
राज्यसभा की 10 सीटों के लिए मंगलवार को मतदान होगा और उसी दिन नतीजे भी घोषित कर दिये जायेंगे. 403 सदस्यीय राज्य विधानसभा में क्रमशः 252 विधायकों और 108 विधायकों के साथ भाजपा और सपा दो सबसे बड़े दल हैं. सपा की गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के पास दो सीटें हैं. बीजेपी के आठवें उम्मीदवार बनकर संजय ने राज्यसभा चुनावों को और रोमांचक बना दिया है. सात उम्मीदवारों के निर्वाचित होने के लिए एनडीए को 259 वोट चाहिए. लेकिन अगर आठवां उम्मीदवार भी जीत गया तो फिर यह संख्या 296 हो जाएगी.
अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो इस समय बीजेपी के पास 252, इसके सहयोगी अपना दल के पास 13 और निषाद पार्टी के पास 6 वोट्स हैं और यह संख्या 271 हो जाती है. अगर इसमें ओम प्रकाश राजभर की एसबीएसपी के छह और राष्ट्रीय लोकदल के 9 विधायकों को भी मिला लें तो यह आंकड़ा 286 हो जाता है. वहीं कुंडा के विधायक राजा भैया के भी बीजेपी के साथ जाने की आशंका है. इसके बाद भी आंकड़ा सिर्फ 288 तक ही पहुंच पाता है. ऐसे में बीजेपी को आठ और वोट्स की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में यह देखना होगा कि बीजेपी इस जादुई आंकड़ें को कैसे छुएगी.
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