पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में लगातार पराली जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं. वहीं, पराली जलाने वाले किसानों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई भी की जा रही है. इस बीच पंजाब में किसानों ने धीमी धान खरीदी और अन्य मुद्दों को लेकर आज शनिवार को एक-दिवसीय विरोध-प्रदर्शन की योजना तैयार कर रखी है. इस बीच, उत्तर प्रदेश के शामली में किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि अभी सिर्फ पंजाब के किसानों ने ही विरोध की घोषणा की है.
बीकेयू नेता ने पराली जलाने पर सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों को बताना चाहिए कि वे पराली का करें तो क्या करें. किसान नेता राकेश टिकैत ने एएनआई से बात करते हुए कहा, "अगर किसान पराली जलाते हैं तो सरकार किसानों पर कार्रवाई करती है. हरियाणा में तो ऐसे किसानों की उपज दो साल तक (मंडियों में) नहीं बिकने देने का नियम बनाया गया है. मुझे वह तकनीक बताएं, जिससे पराली जलाए बिना गेहूं उगाया जा सकता है. सरकार को बताना चाहिए कि किसान पराली का क्या करे.''
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रिपोर्टों के अनुसार, किसान धीमी धान खरीद और अन्य मुद्दों को लेकर 26 अक्टूबर से अनिश्चित काल के लिए पंजाब में कुछ जगहों पर सड़क जाम करेंगे. भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) पंजाब के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने एएनआई से कहा, "26 अक्टूबर को दोनों मंच 4 बिंदुओं पर सड़क जाम करेंगे. हम दोपहर 1 बजे विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे और सड़कों पर बैठेंगे." सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि संगरूर और मोगा जिलों में एक-एक जगह और फगवाड़ा और बटाला में अनिश्चित काल के लिए चक्का जाम किया जाएगा.
मालूम हो कि ठंड की शुरूआत होते ही दिल्ली की हवा दूषित होने लगती है. इस बीच इसके निकटवर्ती राज्यों में जलने वाली पराली का धुआं राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण और बढ़ा देता है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की घटनाओं पर केंद्र व राज्य सरकारों को तलब कर टिप्पणी भी की है, लेकिन फिर भी पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं रुक नहीं रही है. हालांकि, इस हफ्ते से इन राज्यों में उल्लंघन करने वाले किसानों पर कार्रवाई तेज हो गई है. वहीं लापरवाही बरतने वाले अफसरों और कर्मचारियों पर भी निलंबन की कार्रवाई की जा रही है.
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