पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई की जो चुनाव आयोग के फॉर्म 17C से जुड़ी है. सुप्रीम कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की याचिका की सुनवाई की है. इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से फॉर्म 17C डेटा का खुलासा करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट जिस याचिका पर सुनवाई कर रहा था वह पोलिंग स्टेशन के क्रम से वोटर टर्नआउट के आंकड़ों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने से जुड़ी थी. जानिए यह फॉर्म 17C है क्या और क्यों इस पर इतना बवाल मचा है.
इस याचिका पर जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह फॉर्म 17सी को अपलोड नहीं कर सकता क्योंकि इसे उम्मीदवारों और उनके एजेंटों के अलावा किसी और को देने का कोई कानूनी आदेश नहीं है. मामले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अमित शर्मा से ये सवाल किया कि फार्म 17C डेटा का खुलासा नहीं करने में क्या आपत्ति है? कोर्ट ने कहा कि चुनाव निकाय को डेटा का खुलासा करना चाहिए. मामले में ईसीआई के वकील शर्मा का कहना था कि इसमें कोई कठिनाई नहीं है लेकिन पूरी प्रक्रिया जिसमें फॉर्म 17सी भी शामिल है, में समय लगता है.
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कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के तहत कुल मतदाता और कुल वोटर्स का डेटा दो फॉर्म में भरा जाता है, पहला फॉर्म 17ए और दूसरा फॉर्म 17सी. किसी भी मतदाता को मतदान की परमिशन देने से पहले पोलिंग ऑफिसर फॉर्म 17A में वोटर का इलेक्टोरल रोल नंबर दर्ज करता है. इसके बाद फॉर्म 17C उस समय भरा जाता है जब पोलिंग बंद हो जाती है. कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 49S के मुताबिक, मतदान समाप्ति पर प्रीसाइडिंग ऑफिसर फॉर्म 17सी में दर्ज वोटों का लेखा-जोखा तैयार करेगा. यह काम हो जाने के बाद इन फॉर्म को एक अलग लिफाफे में रखा जाता है जिसपर लिखा होता है 'रिकॉर्ड किए गए वोटों का लेखा'.
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फॉर्म 17सी में भी दो पार्ट होते हैं, पहले पार्ट में दर्ज वोटों का हिसाब होता है तो वहीं दूसरे पार्ट में गिनती का नतीजा होता है. पहला पार्ट मतदान के दिन भरा जाता है, जिसे बताने की मांग एक्टिविस्ट के समूह द्वारा की जा रही है. इस फॉर्म में पोलिंग स्टेशन का नाम और नंबर, इस्तेमाल होने वाले ईवीएम का आईडी नंबर, उस पोलिंग स्टेशन के लिए कुल योग्य वोटरों की संख्या, कितने लोगों को वोट नहीं करने दिया गया, प्रति वोटिंग मशीन में दर्ज वोट जैसी जानकारियां होती हैं.
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