शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय कृष‍ि मंत्री बनाने पर भड़का एसकेएम, मंदसौर गोली कांड की द‍िलाई याद 

शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय कृष‍ि मंत्री बनाने पर भड़का एसकेएम, मंदसौर गोली कांड की द‍िलाई याद 

एसकेएम ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा क‍ि बीजेपी ने हार से कोई सबक नहीं ल‍िया है. इसल‍िए एनडीए सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में कृष‍ि क्षेत्र को लेकर कोई फैसला नहीं ल‍िया गया. बढ़ते कृषि संकट, किसानों की आत्महत्या, सी2+50% के हिसाब से एमएसपी गारंटी, कर्ज माफी, बीमा एवं पेंशन को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया. 

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शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय कृष‍ि मंत्री बनाने पर भड़का एसकेएम, मंदसौर गोली कांड की द‍िलाई याद शिवराज सिंह चौहान देश के नए कृषि मंत्री बने.

एक तरफ कुछ लोग मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को देश का नया कृष‍ि मंत्री बनाए जाने को क‍िसानों के ल‍िए बड़ी उम्मीद की नजर से देख रहे हैं तो दूसरी ओर संयुक्त क‍िसान मोर्चा (एसकेएम) उनके व‍िरोध पर उतर आया है. एसकेएम ने कहा क‍ि शिवराज सिंह चौहान के दामन पर मंदसौर के किसानों के खून के धब्बे लगे हैं, इसल‍िए उनको केंद्रीय कृषि मंत्रालय आवंटित करने का कड़ा विरोध क‍िया जा रहा है. एनडीए की पहली कैबिनेट बैठक में कृषि के निगमीकरण की नीति में बदलाव का कोई संकेत भी नहीं द‍िया गया है. इसल‍िए भी सरकार से एसकेएम की नाराजगी बढ़ गई है. 

एसकेएम ने कहा है क‍ि वो 6 जून 2017 को मंदसौर के 6 किसानों की हत्या के लिए शिवराज सिंह चौहान को जिम्मेदार मानता है. इसल‍िए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय आवंटित करने के एनडीए नेतृत्व के फैसले का कड़ा विरोध करता है. किसानों की हत्या तब की गई थी जब वे सी2+50% के हिसाब से एमएसपी, व्यापक कर्ज माफी और किसानों की आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ तीव्र होते संघर्ष में भाग ले रहे थे. यह निर्णय 2014 और 2019 में भाजपा के पूर्ण बहुमत वाली पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा प्रदर्शित अहंकार और असंवेदनशीलता का प्रतीक है. इसने पूरे देश में किसानों और ग्रामीण लोगों में रोष पैदा कर दिया है. 

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कैब‍िनेट की पहली बैठक ने क‍िया न‍िराश 

एसकेएम ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा क‍ि एनडीए सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में कृष‍ि क्षेत्र को लेकर कोई फैसला नहीं ल‍िया. बढ़ते कृषि संकट, किसानों की आत्महत्या, सी2+50% के हिसाब से एमएसपी गारंटी, कर्ज माफी, बीमा एवं  पेंशन को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के बकाया 20,000 करोड़ रुपये जारी करने के नाम पर हो-हल्ला मचाया जा रहा है, जो कि एक पहले से चल रही योजना है. जिस के तहत प्रति किसान परिवार औसतन 500 रुपये प्रति माह की अपर्याप्त राशि दी जाती है.  

हार से भाजपा ने नहीं ल‍िया सबक 

इन निर्णयों से यह साफ हो जाता है कि एनडीए और भाजपा ने 159 ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी हार से कोई सबक नहीं सीखा, जिसमें 63 में से 60 सीटें अकेले भाजपा हारी है. किसानों को इस बात का कोई भ्रम नहीं है कि कृषि में कॉर्पोरेट नीतियों में भाजपा कोई बदलाव करेगी. किसानों को मजदूरों, छोटे व्यापारियों और छोटे उत्पादकों के साथ हाथ मिलाकर पूरे भारत में व्यापक जीवंत व बड़े संघर्षों के एक और दौर के लिए तैयार होना होगा.  

द‍िल्ली में होगी बैठक 

प्रेस को जारी एक बयान में बताया गया है क‍ि एसकेएम की जनरल बॉडी बैठक 10 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में होगी, जिसमें कृषि को कॉर्पोरेट हमले से बचाने और नीतियों में बदलाव के लिए संघर्ष को फिर से शुरू करने के लिए एक्शन प्लान पर विचार किया जाएगा. एसकेएम का प्रतिनिधिमंडल 13 जून को लखीमपुर खीरी कांड में मारे गए क‍िसानों के परिवारों से मुलाकात करेगा. एक महिला सुरक्षाकर्मी द्वारा सांसद कंगना रनौत को थप्पड़ मारने को एसकेएम उचित नहीं मानता, लेकिन ऐतिहासिक किसान आन्दोलन के खिलाफ उनके अहंकारी और दुर्भावनापूर्ण बयानों की निंदा करता है.  

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