किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच करने का आह्वान किया है. ग्राउंड रिपोर्ट से पता चल रहा है कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, केरल और कर्नाटक से किसान दिल्ली आ रहे हैं. इन किसानों की संख्या 20 हजार के करीब होने का अनुमान जताया जा रहा है. किसानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर सील कर दिए गए हैं. जबकि, दिल्ली में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. ऑल इंडिया किसान सभा संयुक्त किसान मोर्चा ने 13 फरवरी के इस प्रदर्शन से हाथ खींच लिया है और कहा है कि वह इस आंदोलन में शामिल नहीं है.
किसान संगठन एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए मासिक पेंशन देने के साथ ही कर्ज माफी का फॉर्म भरवाने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने समेत कुछ अन्य मांगों को लेकर किसान आंदोलित हैं.
ऑल इंडिया किसान सभा के वाइस प्रेसिडेंट और संयुक्त किसान मोर्चा नेता हनन मोल्ला ने कहा है कि ऑल इंडिया किसान सभा संयुक्त किसान मोर्चा का सबसे बड़ा दल है और हम इस प्रदर्शन में शामिल नहीं है. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा से कुछ दल अलग हो गए थे और यह प्रोटेस्ट उन्होंने बुलाया है.हर किसी को प्रदर्शन करने का अधिकार है.
संयुक्त किसान मोर्चा नेता हनन मोल्ला ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन किया तो सरकार ने कृषि कानून वापस लिया, लेकिन वादा किया था कि एमएसपी और बिजली की दरों और कर्ज माफी पर बात करेंगे. लेकिन, 2 साल से उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी है. लेकिन, इस प्रोटेस्ट में केंद्रीय मंत्री चंडीगढ़ बात करने चले जाते हैं. ये सरकार का नाटक है. (आशुतोष)
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