आढ़तिए और राइस मिलर्स केंद्र की नई कृषि मार्केटि‍ंग पॉलिसी के खिलाफ, किसान संगठन भी जता रहे विरोध

आढ़तिए और राइस मिलर्स केंद्र की नई कृषि मार्केटि‍ंग पॉलिसी के खिलाफ, किसान संगठन भी जता रहे विरोध

आढ़तियों और चावल मिल मालिकों के प्रतिनिधियों ने कृषि मार्केटिंग की ड्राफ्ट पॉलिसी को लेकर मंडियों की व्‍यवस्‍था को खत्‍म करने के इरादे की आंशका जताते हुए स्‍वीकार करने से मना कर दिया है. उन्‍होंने पंजाब सरकार से इस पॉलिसी ड्राफ्ट को सभी दलों की उपस्थिति में खारि‍ज कर केंद्र को जानकारी देने की मांग की है. इससे पहले किसान संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं.

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आढ़तिए और राइस मिलर्स केंद्र की नई कृषि मार्केटि‍ंग पॉलिसी के खिलाफ, किसान संगठन भी जता रहे विरोधनई कृषि मार्केटि‍ंग पॉलिसी का विरोध. (सांकेतिक तस्‍वीर)

केंद्र सरकार ने किसानों के विरोध के बाद कृषि कानूनों को वापस ले लिया था. इसके बाद सरकार ने अब नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क ऑन एग्रीकल्‍चरल मार्केटिंग (कृषि मार्केटिंग) पर एक ड्राफ्ट तैयार किया है. पंजाब के किसानों ने इसका विरोध जताया है. अब किसानों को आढ़‍तियों और चावल मिल मालिकों का भी साथ मिल रहा है, क्‍याेंकि उन्‍होंने भी इस कृषि मार्केटिंग पॉलिसी को नकार दिया है. गुरुवार को आढ़तियों और चावल मिल मालिकों के प्रतिनिधियों ने पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां की अध्‍यक्षता में राज्य सरकार के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की.

'दि ट्रिब्‍यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, चर्चा में आढ़तियों और चावल मिल मालिकों के प्रतिनिधियों ने ड्राफ्ट पॉलिसी को लेकर मंडियों की व्‍यवस्‍था को खत्‍म करने के इरादे की आंशका जताई है. आढ़तियाें और चावल मिल मालिकों ने राज्य सरकार से विधानसभा की बैठक बुलाकर सभी दलों को साथ लेकर पॉलिसी खारि‍ज करने की मांग की है. बता दें कि‍ राज्य सरकार को पॉलिसी पर अपनी टिप्पणियां 10 जनवरी तक केंद्र को देना हैं. 

किसान संगठन पहले से विरोध में

इससे पहले किसान संगठन भी एग्रीकल्‍चर मार्केटि‍ंग पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. किसान नेताओं का कहना है कि जब नई पॉलिसी में प्राइवेट मंडि‍यों को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है तो इससे साफ है कि पुरानी बनी मंडियों को केंद्र सरकार की ओर से मदद नहीं मिलेगी.

आढ़‍तियों का रोल खत्‍म किए जाने का डर

रविंदर सिंह चीमा ने कहा कि यह पॉलिसी साफ तौर पर प्राइवेट संस्‍थाओं द्वारा साइलो बनाने के लिए बढ़ावा देती है. इसके अनुसार, संस्‍थाएं किसानों से सीधे कृषि उपज खरीद सकेंगी. यानी कमीशन एजेंट व्यवसाय से बाहर हो जाएंगे.

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'पुराने कृषि कानून लाने की कोशि‍श कर रही सरकार'

वहीं, पंजाब के आढ़ती संघ के अध्यक्ष विजय कालरा ने कहा कि सरकार नई बोतल में पुरानी शराब भरकर पेश कर रही है. केंद्र सरकार इस पॉलिसी को लाकर 2021 में वापस लिए गए कृषि कानूनों को फिर लाने की तैयारी कर रही है. इस पॉलिसी से किसानों, आढ़तियों और मजदूरों सभी को नुकसान होगा. इससे पंजाब की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी.

चावल मिलर्स के प्रतिनिधि‍ तरसेम सैनी ने कहा कि ड्राफ्ट पॉलिसी में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने और कृषि उपज की बेहतर कटाई के बाद की हैंडलिंग और भंडारण के लिए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर बनाने जैसी कुछ बातें अच्‍छी हैं. लेकिन वे मौजूदा मंडियों के सिस्‍टम को नुकसान पहुंचाने के इरादे के खिलाफ है. इस पॉलिसी से आढ़तियों को रोल खत्‍म हो जाएगा.

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