इस साल मॉनसून के मौसम में पंजाब से लेकर जम्मू तक दोनों राज्य बारिश के अलावा बाढ़ से भी परेशान रहे. बाढ़ के हालातों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को रावी नदी पर बने फ्लडगेट्स का निरीक्षण किया. डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने फ्लडगेट मैनेजमेंट में चूक के लिए उच्चतम स्तर पर जिम्मेदारी तय करने हेतु निष्पक्ष जांच की मांग की. स्वतंत्र प्रभार वाले साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर, अर्थ साइंस मिनिस्टर के साथ ही पीएमओ में राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह पंजाब के रावी नदी पर माधोपुर बैराज के दौरे पर थे.
निरीक्षण के बाद सिंह ने कहा कि पठानकोट, गुरदासपुर और अमृतसर जिलों के कुछ हिस्सों में आई बाढ़ को समय पर गेट खोलने से रोका जा सकता था. उनका कहना था कि सार्वजनिक रिकॉर्ड के अनुसार, पानी का स्तर 523 मीटर पहुंचते ही फ्लडगेट्स खोलने की जरूरत होती है. लेकिन इस मौके पर गेट 527 मीटर के स्तर के बाद ही खोले गए. डॉक्टर जितेंद्र सिंह के अनुसार तब तक बड़ी मात्रा में पानी जमा हो चुका था, जिससे बड़े स्तर पर बाढ़ आई.
सिंह ने यह भी देखा कि गेट्स मैन्युअली ऑपरेट किए गए न कि मॉर्डन ऑटोमेटेड सिस्टम का प्रयोग हुआ. उनका मानना था कि इससे साफ है कि किस कदर तैयारियों की कमी थी. उन्होंने पंजाब सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केवल 'तीन जूनियर ऑफिसर्स' को सस्पेंड करना पर्याप्त नहीं है. जिम्मेदारी उन लोगों पर तय की जानी चाहिए जिनके पास समय पर निर्णय लेने का अधिकार था. राज्य सरकार ने हाल ही में माधोपुर बैराज घटना में तीन अधिकारियों, जिनमें एक जूनियर इंजीनियर भी शामिल हैं, को सस्पेंड किया है. इस घटना में पठानकोट जिले के हेडवर्क्स के दो फ्लडगेट्स को नुकसान हुआ था.
सिंह ने कहा, ' लोअर लेवल के कर्मचारियों को सस्पेंड करने से कुछ नहीं होगा. जिम्मेदारी टॉप लेवल पर तय की जानी चाहिए, उन लोगों पर जो अधिकार और कर्तव्य दोनों से संपन्न हैं.' मॉनसून के दौरान जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में भारी बारिश के बाद बैराज के फ्लडगेट्स के ध्वस्त होने से नीचे के कई इलाकों में बाढ़ आ गई थी. हालांकि पंजाब सरकार ने घटना के संरचनात्मक, मैकेनिकल और ऑपरेशनल वजहों की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. सिंह ने जोर देकर कहा कि जांच में प्रशासनिक चूक की भी समीक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने रावी बैराज के रणनीतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए कहा कि इस तरह की विफलताओं को हल्के में नहीं लिया जा सकता.
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