यमुना नदी में प्रदूषण नए स्‍तर पर, हजारों मछलियों की मौत, बदबू से जनता का जीना मुहाल

यमुना नदी में प्रदूषण नए स्‍तर पर, हजारों मछलियों की मौत, बदबू से जनता का जीना मुहाल

किसानों का आरोप है कि हरियाणा से केमिकल वाला पानी छोड़े जाने की वजह से मछलियों की मौत हुई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि 8 नंबर नहर के जरिये यमुना नदी में गंदा पानी आता है, जिसमें केमिकल का पानी छोड़ा जाता है. उनकी मानें तो यह पहली बार नहीं है किस तरीके का केमिकल वाला पानी यमुना में छोड़ा गया हो.

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यमुना नदी में प्रदूषण नए स्‍तर पर, हजारों मछलियों की मौत, बदबू से जनता का जीना मुहाल पूरी स्थिति पर दिल्‍ली की सरकार अभी खामोश है

यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर बढ़ गया है. इससे दिल्ली के बुराड़ी इलाके मे यमुना नदी के किनारे  हजारों मछलियों की मौत हो गई है. बुराड़ी के प्रहलाद एनक्लेव में किसानों को यमुना किनारे हजारों की संख्या में मरी मछलियां मरी नजर आई है. इसके कारण नदी के करीब लोग मछलियों की दुर्गंध से परेशान नजर आए. यह जानकारी ऐसे समय में आई जब हाल ही में 
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की एक रिपोर्ट में यमुना नदी को लेकर चिंता जताई गई है. 

किसानों का आरोप

किसानों का आरोप है कि हरियाणा से केमिकल वाला पानी छोड़े जाने की वजह से मछलियों की मौत हुई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि 8 नंबर नहर के जरिये यमुना नदी में गंदा पानी आता है, जिसमें केमिकल का पानी छोड़ा जाता है. उनकी मानें तो यह पहली बार नहीं है किस तरीके का केमिकल वाला पानी यमुना में छोड़ा गया हो.हर बार इसी तरीके से यमुना नदी में केमिकल वाला पानी छोड़ा जाता है जिसके कारण यमुना का जल जहरीला होता जा रहा है.  

स्‍थानीय लोग परेशान 

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार यमुना में तय मानक से अधिक ह्यूमन वेस्‍ट  पाया गया है. यह एक गंभीर समस्या है जिसका समाधान करना आवश्यक है. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि जब-जब नहर का गंदा पानी या केमिकल वाला पानी सोनीपत से छोड़ते हैं तब-तब मछलियों की मौत होती है. साथ ही पानी में दुर्गंध भी आने लगती है. लोगों का कहना है कि यह पानी हाथ धोने लायक भी नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब-जब नहर का गंदा पानी या केमिकल वाला पानी सोनीपत से छोड़ते हैं तब-तब मछलियों की मौत होती है. 

स्थिति पर सरकार खामोश 

हालांकि सरकार की तरफ से अभी तक आधिकारिक तौर पर इस पूरे मामले को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. स्थानीय लोगों की मानें तो सन्  1978 से पहले यमुना का पानी पीने योग्य था. उस समय सभी के लिए पानी का स्रोत यही नदी थी. लेकिन अब यमुना नदी का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है. इससे पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समिति की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो वर्षों में यमुना नदी के पानी की क्‍वालिटी में भारी गिरावट आई है, जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) का स्तर जनवरी 2025 में स्वीकार्य मानक से 42 गुना अधिक हो गया है. 

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