हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किसानों से आह्वान किया कि वे कृषि में विविधीकरण को अपनाएं और मोटे अनाज (जैसे बाजरा, ज्वार आदि) की खेती को प्राथमिकता दें. उन्होंने कहा कि सरकार खेती को लाभकारी बनाने के लिए लगातार नए कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री का कहना है कि पारंपरिक खेती के साथ-साथ औषधीय पौधे, मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, सब्जी, फूल और फलों की खेती करके किसान अपनी आय कई गुना बढ़ा सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने हिसार में रबी कृषि मेले का शुभारंभ करते हुए बताया कि सरकार किसानों को हर संभव सुविधा और सहायता उपलब्ध करा रही है. इसी क्रम में "हर घर छाव- हर घर फल" योजना की शुरुआत की गई है, जिसके तहत 55000 फलदार पौधे मुफ्त में बांटे जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने 50 पशुपालकों को प्रोत्साहन राशि के डमी चेक वितरित किए और 75 महिला उद्यमियों को डेयरी इकाइयां स्थापित करने के लिए स्वीकृति पत्र भी दिए. उन्होंने कहा कि देशी गायों और मुर्राह नस्ल के विकास के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
मुख्यमंत्री ने जल संकट की बात करते हुए बताया कि वर्ष 2020 में "मेरा पानी मेरी विरासत" योजना शुरू की गई थी. इसके तहत धान की जगह दूसरी फसलें बोने वाले किसानों को 8,000 रुपये प्रति एकड़ की मदद दी जाती है. अब तक 2.2 लाख एकड़ भूमि पर वैकल्पिक फसलें बोई गई हैं और किसानों को 157 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है.
सरकार ने जल संरक्षण के लिए ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर सिस्टम और वर्षा जल संचयन जैसी तकनीकों पर 85% तक सब्सिडी दी है. इसके अलावा, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से शोधित पानी को सिंचाई में उपयोग करने की भी योजना बनाई गई है.
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि हरियाणा में सभी 24 फसलों की खरीद MSP पर की जाती है. 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' योजना के तहत 20 लाख किसानों को 6,917 करोड़ रुपये की राशि मिल चुकी है.
पिछले कुछ वर्षों में किसानों को फसल खराबी पर 15,145 करोड़ रुपये मुआवजा और बीमा क्लेम के रूप में दिए गए हैं. वहीं, खरीफ 2024 में किसानों को 2,000 रुपये प्रति एकड़ बोनस भी मिला है, जो हरियाणा के इतिहास में पहली बार हुआ है.
राज्य के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि प्राकृतिक खेती ही भविष्य है. रासायनिक खेती से भूमि की उर्वरता और मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. इसलिए सरकार देशी गायों पर 35,000 रुपये तक की सब्सिडी और प्रति गाय 4,000 रुपये की सहायता दे रही है.
हरियाणा खेती, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन के क्षेत्रों में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है. बिना समुद्र तट के भी हरियाणा मत्स्य पालन में देश में दूसरा स्थान रखता है. मुर्राह और साहीवाल नस्ल की गायें पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं.
मुख्यमंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे ऐसी फसलों की किस्में विकसित करें, जो बाढ़ और सूखे दोनों स्थितियों में टिकाऊ हों. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और किसान मिलकर ही कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं.
सरकार ने नकली बीज और कीटनाशकों पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया है. मुख्यमंत्री ने बीज और कीटनाशक कंपनियों से अपील की कि वे इस दिशा में सरकार का सहयोग करें.
अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजा शेखर वुंडरू ने कहा कि किसान को केवल खेती तक सीमित न रहकर बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन को भी अपनाना चाहिए. इससे आय के कई स्रोत बनेंगे और किसान आर्थिक रूप से सशक्त होंगे.
हरियाणा सरकार किसानों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी खुद को पहले किसान और फिर मुख्यमंत्री मानते हैं. आज का संदेश साफ है- अगर किसान विविध कृषि, जल संरक्षण और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ते हैं, तो उनकी आमदनी बढ़ेगी और आने वाली पीढ़ियों को भी सुरक्षित भविष्य मिलेगा.
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