प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए AIKS के नेता (फाइल फोटो)केंद्र सरकार ने पुराने बीज कानून को बदलने के लिए नया बीज कानून 2025 लाने जा रही है. इससे पहले सरकार ने इसका ड्राफ्ट सार्वजनिक कर किसानों सहित सभी हितधारकों और आम जनता से सुझाव मांगे हैं. सरकार की ओर से सुझाव भेजने की अंतिम तिथि 11 दिसंबर रखी गई है. इस बीच, ऑल इंडिया किसान सभा (AIKS) ने नए सीड्स बिल, 2025 के ड्राफ्ट को किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए बेहद हानिकारक बताया है. संगठन ने कहा कि अगर यह मसौदा (ड्राफ्ट) कानून का रूप लेता है तो बीजों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी होगी और पूरा बीज बाजार कॉरपोरेट कंपनियों के कब्जे में जा सकता है. इसी मुद्दे को लेकर एआईकेएस ने 26 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है, जिस दिन पांच साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर चले किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन की शुरुआत हुई थी.
AIKS ने आरोप लगाया गया है कि प्रस्तावित बिल किसानों के हितों की रक्षा करने वाले कई मौजूदा कानूनी ढांचों को कमजोर करता है. संगठन का कहना है कि भारत ने ‘प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटीज़ एंड फार्मर्स राइट्स एक्ट, 2001’, जैव विविधता संबंधी अंतरराष्ट्रीय समझौतों और खाद्य और कृषि के लिए पौध आनुवंशिक संसाधनों पर वैश्विक संधि के तहत स्पष्ट प्रतिबद्धताएं जताई हैं, जिन्हें यह मसौदा नजरअंदाज करता दिखता है.
एआईकेएस का आरोप है कि नया बिल इन व्यवस्थाओं से मेल खाने के बजाय उनसे उलट दिशा में जा रहा है और यह बीज उद्योग पर बड़ी निजी कंपनियों का एकाधिकार बढ़ाने वाला कदम साबित हो सकता है. एआईकेएस के अध्यक्ष और सीपीआई(एम) पोलित ब्यूरो सदस्य अशोक धवले ने मसौदा बिल पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह प्रावधान कृषि को गहरे संकट में धकेल देगा.
धवले ने दावा किया कि कॉरपोरेट इकाइयों को अत्यधिक छूट दिए जाने से बीजों की कीमतें अनियंत्रित रूप से बढ़ेंगी और किसानों पर आर्थिक बोझ और अधिक बढ़ जाएगा. उनका कहना है कि पिछले अनुभव बताते हैं कि जब भी किसी महत्वपूर्ण कृषि इनपुट पर निजी कंपनियों की निर्भरता बढ़ी है, कीमतें आसमान छूने लगी हैं और किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है.
धवले ने यह भी कहा कि देश ने वर्षों से स्वदेशी बीजों, किस्मों और किसानों के मौलिक अधिकारों को संरक्षण देने का संकल्प लिया है, लेकिन यह मसौदा उन प्रयासों को पीछे धकेलने वाला है. धवले के मुताबिक, भारत ने जिन अंतरराष्ट्रीय संधियों पर सहमति जताई है. मसौदा बिल उनकी भावना के विपरीत दिशा में आगे बढ़ रहा है और यह किसानों की स्वतंत्रता, बीज बचाओ परंपरा और स्थानीय विविधताओं की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है.
उधर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि ड्राफ्ट सीड्स बिल, 2025 का उद्देश्य बीज गुणवत्ता को मजबूत ढंग से विनियमित करना, किसानों को किफायती और विश्वसनीय बीज उपलब्ध कराना और मिलावटी व घटिया बीजों पर सख्त रोक लगाना है.
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि नया ढांचा बीज आयात को पारदर्शी बनाएगा, नवाचार को बढ़ावा देगा और आपूर्ति श्रृंखला में जवाबदेही सुनिश्चित करेगा. इसके साथ ही सभी हितधारकों को 11 दिसंबर तक अपनी आपत्तियाँ और सुझाव भेजने के लिए आमंत्रित किया गया है. (पीटीआई)
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