प्रो-मराठा एक्टिविस्ट कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल ने गुरुवार को कहा है कि सरकार को 2 सितंबर को जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) को लागू करना चाहिए और देर होने से पहले तालुका स्तर पर मराठा समुदाय के सदस्यों को कुंबी प्रमाणपत्र जारी करना शुरू करना चाहिए. दशहरे के मौके पर नारायण गढ़ में आयोजित रैली में उन्होंने यह घोषणा की. आपको बता दें कि पिछले दिनों मनोज जरांगे महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर एक विशाल आंदोलन किया था. इसके साथ ही उन्होंने खेती को नौकरी का दर्जा देने की भी मांग की है.
जरांगे ने दशहरा रैली पर कहा कि सभी योग्य मराठाओं के लिए केवल प्रतीकात्मक 10 प्रतिशत अलग कोटा नहीं, बल्कि सत्यापित ओबीसी हेरिटेज सर्टिफिकेट की मांग की. उन्होंने उन लोगों को चेतावनी दी जो मराठा समुदाय को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, कहा, 'हमें उकसाओ मत. जरूरत पड़ी तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे.' इसके अलावा, उन्होंने यह भी मांग की कि कृषि को नौकरी का दर्जा दिया जाए और 10 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को मासिक 10,000 रुपये वेतन दिया जाए. जरांगे पाटिल का कहना है कि अगर यह वेतन दिया जाता है तो बेरोजगार बच्चे कम से कम खेतों में काम करेंगे. उनका कहना था कि ऐसा करने से युवाओं में भी खेती के लिए रूचि पैदा होगी. अगर उन्हें सैलरी मिलेगी तो वो खेतों में काम करना शुरू करेंगे.
जरांगे ने सवाल किया, 'कौन है जो 10,000 रुपये की कृषि नौकरी करना चाहता है?' इस पर वहां मौजूद कई लोगों ने हाथ उठाकर सहमति जताई. किसानों के लिए ये विभिन्न मांगें रखते हुए उन्होंने किसानों से अपनी जमीन न बेचने की अपील भी की. राज्य में हुई विनाशकारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान पर टिप्पणी करते हुए जरांगे-पाटिल ने सरकार से तुरंत ‘ओला सूखा’ घोषित करने, किसानों को प्रति हेक्टेयर 70,000 रुपये की मदद देने और किसानों के लिए पूर्ण कर्जमाफी की घोषणा करने की मांग की.
उन्होंने कहा, 'नदी किनारे की खेती बह गई है, सरकार को ऐसे किसानों को प्रति हेक्टेयर 1.30 लाख रुपये की मदद करनी चाहिए. पिछले 20 सालों में कई किसानों ने आत्महत्या की है, इसलिए सरकार को ऐसे किसानों के परिवारों को नौकरी देनी चाहिए और फसलों के लिए गारंटीशुदा दाम भी सुनिश्चित करने चाहिए.' जरांगे ने चेतावनी दी, 'अगर दिवाली तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो जिला परिषद और नगर परिषद के चुनाव नहीं होने देंगे. हम गांवों में मतपत्र नहीं रखने देंगे और बिना ओला सूखा घोषित किए बिना कर्जमाफी किए, बिना 100 प्रतिशत मुआवजा दिए और बिना फसल बीमा दिए चुनाव की तारीख घोषित नहीं होने देंगे.'
उन्होंने कहा कि अगर चुनाव की तारीख उनकी मांगों को मानें बिना घोषित की गई, तो महाराष्ट्र में मंत्रियों को बैठकें करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा, 'मैं इस दुनिया में अल्पकालिक मेहमान हूं, ज्यादा नहीं कह सकता. मेरी सेहत खराब है लेकिन फिर भी मैं समुदाय के लिए अपनी जान देने को तैयार हूं. मैं निजी लाभ के लिए नहीं आया, बल्कि मराठा समाज के अधिकारों की लड़ाई के लिए आया हूं. मेरा शरीर साथ नहीं दे रहा, लेकिन मेरा हौसला मजबूत है.' जरांगे पाटिल ने इस बात पर जोर दिया कि मराठाओं को प्रशासक और शासक बनना चाहिए. उनका कहना था कि अगर वे प्रशासन में हावी होंगे, तो नेता भी उनके आगे झुकेंगे. उन्होंने समुदाय में एकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि अपनी परेशानियों के लिए ओबीसी को दोष न दें और मिलकर काम करें.
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