लोकसभा चुनाव के चार चरणों का मतदान पूरा हो चुका है और बचे हुए तीन चरणों का प्रचार अभियान जोरों पर है. उम्मीदवार से लेकर स्टार प्रचारक और नेतागण वोट मांगने के लिए डोर- टू-डोर कैंपेन तक कर रहे हैं. इन सबके बीच हिमाचल प्रदेश का एक गांव ऐसा है जहां आज तक कोई भी नेता वोट मांगने कि लए नहीं पहुंचा है. यह गांव हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ में पड़ता है जिसका नाम बड़ा भंगाल है. हिमाचल प्रदेश की चार सीटों के लिए एक ही चरण में वोटिंग होनी है. 1 जून यानी आखिरी चरण में यहां के कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर और शिमला की सीटों के लिए मतदान होगा.
गांव में रहने वाले महज 159 वोटरों के लिए हेलीकॉप्टर से ईवीएम मशीनों को भेजा जाएगा. बैजनाथ के अति दुर्गम क्षेत्र बड़ा भंगाल में आज तक कोई भी नेता चुनाव प्रचार या वोट मांगने नहीं आया है. इसका कारण यहां तक पहुंचने के कठिन और दुर्गम रास्ते हैं. बड़ा भंगाल गांव तक पैदल पहुंचने में तीन से चार दिन का समय लगता है. साल 2011 में बड़ा भंगाल पंचायत में पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, तत्कालीन वूल फेडरेशन अध्यक्ष त्रिलोक कपूर हेलीकॉप्टर की मदद से पहुंचे थे. तब जाकर वो लोगों को संबोधित कर पाए थे.
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साल 2018 में पहली बार तत्कालीन बैजनाथ विधायक मुल्ख राज प्रेमी ने हेलीकॉप्टर के माध्यम से बड़ा भंगाल का दौरा किया. हालांकि, अभी तक कोई भी नेता वोटिंग के वक्त प्रचार करने नहीं पहुंचा है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की सबसे दुर्गम पंचायत बड़ा भंगाल में वर्तमान में रहने वाले 159 मतदाताओं को लोकसभा चुनाव में मतदान की सुविधा प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन ने पहले ही पोलिंग पार्टी भेज दी है.प्रशासन ने यहां चुनाव की सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं.
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बैजनाथ का यह गांव कांगड़ा घाटी का सबसे मुश्किल क्षेत्र है. गांव बड़ा भंगाल आज भी सड़क से जुड़ा नहीं है. सड़क न होने की वजह से आज भी यहां के लोगों को स्वास्थ्य और बाकी सुविधाएं नहीं मिल सकी हैं. हालात ऐसे हैं कि बरसात के मौसम में यहां पर बने पुल तक टूट जाते हैं और यहां बसे लोगों की मुसीबत भी बढ़ जाती है. राशन की सप्लाई तक यहां पर पहाड़ सा काम लगने लगती है. यह गांव सर्दियों में राज्य के बाकी हिस्सों से कटा रहता है. यहां तक कि अधिकांश निवासी यहां से दूसरे गांव में चले जाते हैं.
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