जम्‍मू कश्‍मीर में चुनाव कराना, केंद्र सरकार का अहसान नहीं...बीजेपी पर बरसे पूर्व सीएम उमर अब्‍दुल्‍ला  

जम्‍मू कश्‍मीर में चुनाव कराना, केंद्र सरकार का अहसान नहीं...बीजेपी पर बरसे पूर्व सीएम उमर अब्‍दुल्‍ला  

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को आर्टिकल 370 को हटाने के बाद नए और समृद्ध जम्मू-कश्मीर के दावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमला बोला है. उन्‍होंने आरोप लगाया है कि हकीकत जमीनी स्तर पर इसके बिल्कुल उलट है. साथ ही उन्होंने राज्‍य में विधानसभा चुनाव कराने के केंद्र सरकार के ऐलान पर आक्रामक तरीके से टिप्‍पणी की.

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जम्‍मू कश्‍मीर में चुनाव कराना, केंद्र सरकार का अहसान नहीं...बीजेपी पर बरसे पूर्व सीएम उमर अब्‍दुल्‍ला  बीजेपी पर क्‍यों बरसे जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व सीएम उमर अब्‍दुल्‍ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को आर्टिकल 370 को हटाने के बाद नए और समृद्ध जम्मू-कश्मीर के दावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमला बोला है. उन्‍होंने आरोप लगाया है कि हकीकत जमीनी स्तर पर इसके बिल्कुल उलट है. साथ ही उन्होंने राज्‍य में विधानसभा चुनाव कराने के केंद्र सरकार के ऐलान पर आक्रामक तरीके से टिप्‍पणी की. उमर ने कहा कि केंद्र सरकार राज्‍य की जनता पर कोई अहसान नहीं कर रही है. आपको बता दें कि पिछले दिनों बीजेपी के केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा था कि घाटी में सितंबर के महीने में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. 

उमर ने पूछे बीजेपी से कड़े सवाल 

उमर ने बीजेपी पर बरसते हुए कहा, 'मैं यह पूछने के लिए मजबूर हूं कि पिछले पांच सालों में केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को क्या मिला है.' कठुआ जिले के नागरी में एक रैली को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 30 सितंबर तक चुनाव की समय सीमा तय की गई है. इससे पहले विधानसभा चुनाव कराना बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का कोई अहसान नहीं है. अब्दुल्ला ने कहा, 'वो नए और खुशहाल जम्मू-कश्मीर के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल इसके उलट है और यही वजह है कि हार के डर से वो आज तक विधानसभा चुनाव नहीं करा सके.' 

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चुनाव का बेसब्री से इंतजार 

केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के इस बयान का जिक्र करते हुए कि विधानसभा चुनाव सितंबर में होंगे, उन्होंने कहा, 'अगर वो आज चुनाव की बात कर रहे हैं तो वे हम पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं.' उनका कहना था कि यह सुप्रीम कोर्ट ही था जिसने अनुच्छेद 370 के कानूनों को हटाने पर अपना फैसला सुनाते हुए विधानसभा चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर की समयसीमा तय की थी, नहीं तो वो किसी बहाने से इसे फिर से टाल देते. उमर के मुताबिक  उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी चुनाव कराने की बात कही और अब चुनावों का बेसब्री से इंतजार है.

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खत्‍म हुई चुनाव की चिंता  

अब्दुल्ला ने कहा कि चुनाव का बिगुल बजने को लेकर कोई संदेह नहीं है, हालांकि पहले इस बात की चिंता थी कि चुनाव होंगे या नहीं. उनका कहना था कि साल 2018 में जब पीडीपी-बीजेपी की सरकार गिर गई तो उसके बाद, जम्मू-कश्मीर में कोई लोकप्रिय सरकार नहीं रही जिसने 2019 में बड़ा बदलाव देखा हो. केंद्र ने 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 को हटा दिया जो जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्‍य का दर्जा देता था. इसके बाद राज्य दो हिस्‍सों में बंट गया, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख और दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश बन गए. अब्दुल्ला की मानें तो बीजेपी ने संवैधानिक बदलाव करते समय बहुत सारे वादे किए थे लेकिन पांच साल बाद भी जमीन पर कुछ भी नहीं मिला.

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उमर ने किया सरकार बनाने का दावा   

अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि कोई बड़ा प्रोजेक्‍ट या इंडस्‍ट्री नहीं लगी है और महंगाई चरम पर है. देश में सबसे ज्‍यादा बेरोजगारी है जबकि आतंकवाद शांतिपूर्ण जम्मू क्षेत्र तक फैल गया है. आम चुनावों का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने जा रही है. उन्होंने कहा कि उधमपुर और जम्मू से चुनाव नहीं लड़ा और बारामुल्ला से भी अपनी सीट हार गए. लेकिन इन सबके बावजूद नेशनल कॉन्फ्रेंस को विधानसभा में सबसे ज्यादा सीटें मिलीं. उनकी मानें तो वो ऐसी सरकार नहीं चाहते जहां पार्टी को किसी और से समर्थन लेना पड़े. 

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