हरियाणा के किसानों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन खत्म करने के लिए एमएसपी गारंटी का कानून बनाया जाना चाहिए. हालांकि हरियाणा के किसानों ने शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में सक्रिय भागीदारी नहीं निभाई है, लेकिन उन्होंने एमएसपी की लीगल गारंटी के लिए केंद्र सरकार से अपील की है. हरियाणा के किसान नेताओं का मानना है कि किसानों और सरकार के बीच सकारात्मक बातचीत होगी तभी बीच का कोई रास्ता निकल पाएगा.
"किसान अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं. एमएसपी गारंटी पर एक कानून किसान समुदाय की लंबे समय से मांग है, जिसके लिए वे विरोध कर रहे हैं. किसान समाधान चाहते हैं. केंद्र सरकार को किसान यूनियनों को बातचीत के लिए बुलाना चाहिए और एमएसपी पर फसलों की खरीद तय करने के लिए एक कानून बनाना चाहिए, "सेवा सिंह आर्य, अध्यक्ष (बीकेयू- सेवा) ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा.
बीकेयू (सर छोटू राम) के प्रवक्ता बहादुर सिंह मेहला ने भी इसी तरह की बात कही और कहा कि किसान समुदाय पर बल प्रयोग ठीक नहीं है. "हर किसान एमएसपी पर फसलों की खरीद सुनिश्चित करने की गारंटी चाहता है. पंजाब के किसान हरियाणा-पंजाब के बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी. किसानों पर बल प्रयोग करने के बजाय केंद्र सरकार को किसान समुदाय को शांत करना चाहिए," मेहला ने कहा.
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उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार तेजी से कार्रवाई करे. आंदोलन से किसान, व्यापारी और आम नागरिक सभी प्रभावित हैं. बातचीत ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है."
इस बीच, कैथल पुलिस हाई अलर्ट पर रही, खास तौर पर तीन प्रमुख बॉर्डर के नाकों - संगतपुरा, टाटियाना और भर्ता पर - ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे. कैथल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेश कालिया ने भी शनिवार शाम को इन नाकों पर स्थिति की समीक्षा की. सुरक्षा तैनाती में स्थानीय पुलिस के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और भारतीय रिजर्व बल (आईआरएफ) की एक-एक कंपनी शामिल है. हालांकि, इन नाकों से किसानों की किसी भी गतिविधि की सूचना नहीं मिली है और यातायात की आवाजाही निर्बाध रही.
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एसपी ने कहा, "हम सभी अंतर-राज्यीय नाकों पर स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं. हमारा असली मकसद शांति बनाए रखना और किसी भी अप्रिय घटना को रोकना है. हमने किसी भी संभावित हंगामे या रुकावटों से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है."
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