मोत‍िहारी में बेतिया राज और बंदोबस्ती की जमीन को लेकर किसानों का हल्‍लाबोल, सरकार को दिया अल्‍टीमेटम

मोत‍िहारी में बेतिया राज और बंदोबस्ती की जमीन को लेकर किसानों का हल्‍लाबोल, सरकार को दिया अल्‍टीमेटम

सरकार के द्वारा बेतिया राज और बंदोबस्ती की जमीन की खरीद-बिक्री और दाखिल-खारिज पर लगाए गई रोक के खिलाफ चंपारण किसान मजदूर संघर्ष समिति ने चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है. आज दर्जनों किसानों ने मोत‍िहारी में राज्‍य सरकार के खिलाफ ने जमकर नारेबाजी की और सरकार को मामले को सुलझाने के लिए अल्‍टेमटम भी दिया है. 

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मोत‍िहारी में बेतिया राज और बंदोबस्ती की जमीन को लेकर किसानों का हल्‍लाबोल, सरकार को दिया अल्‍टीमेटममा‍ेतिहारी में धरने पर बैठे किसान

पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में बिहार सरकार के गलत नीतियों के विरोध में चंपारण किसान मजदूर संघर्ष समिति ने बिहार सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राज्‍य सरकार के द्वारा बेतिया राज और बंदोबस्ती की जमीन की खरीद-बिक्री और दाखिल-खारिज पर लगाए गई रोक के खिलाफ चंपारण किसान मजदूर संघर्ष समिति ने चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में संगठन से जुड़े किसानों ने आज जिले के पिपरा कोठी प्रखंड मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन और हल्ला बोल कार्यक्रम आयोजित किया. इस दौरान दर्जनों किसानों ने सरकार के खिलाफ ने जमकर नारेबाजी की और सरकार को मामले को सुलझाने के लिए अल्‍टेमटम भी दिया है. 

किसानों की मांग है कि सरकार हर हाल में अपने नीतियों में बदलाव करना होगा. इस आंदोलन को व्यापक रूप देने के लिए इस मुद्दे को लेकर संघर्ष समिति ने 10 मार्च 2025 को जिला मुख्यालय मोतिहारी स्थित गांधी मैदान में किसान मजदूरों के धरने का आह्वान किया है. इसमें बड़ी संख्‍या में जिलेभर के किसान और मजदूर शामिल होंगे. इसके पूर्व संघर्ष समिति जिला के सभी प्रखंडों में जाकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर रही है.

15 हजार एकड़ जमीन को लेकर मुख्‍य विवाद

वहीं, धरने पर बैठे समिति के अध्यक्ष सुभाष सिंह कुशवाहा ने कहा कि ब्रिटिश शासनकाल में बेतियाराज की जो जमीन थी, उसमें से लाखों एकड़ जमीन को ब्रिटिश गवर्नमेंट ने कर्ज के रूप में नीलामी में ले लिया था, जिसमें से 15000 एकड़ जमीन बच गई थी. इसपर 1857 के आसपास कोर्ट ऑफ वार्ड्स का गठन हो गया था.

फिर सर्वे के बाद 1920 में नीलामी में लेकर जमीन को नीलहा कोठी को अधिकृत कर दिया गया और नीलहा कोठी के माध्यम से जागीर देकर पट्टा बनाकर जमाबंदी कायम कर मालगुजारी वसूली गई और जब आजाद भारत हुआ तो श्री कृष्णा बिहार के पहले मुख्यमंत्री बने. उनके द्वारा अधिकृत रूप दे दिया गया और रजिस्टर टू में दर्ज कर रैयत घोषित कर दिया गया और 15000 एकड़ जमीन बिहार के राजस्व बोर्ड के गठन के बाद राजस्व बोर्ड के जिम्मे हो गई.

सरकार को 10 मार्च तक का दिया समय

सुभाष सिंह कुशवाहा ने कहा कि वर्तमान में नीतीश कुमार के द्वारा लाखों एकड़ जमीन को निरस्त कर दिया गया है. 15 हजार एकड़ जमीन की भी बंदोबस्ती कर दी गई है, इस जमीन पर रोक लगने के बाद किसी को अधिकार नहीं है कि वह अपने जमीन को बेच सकें. लोग को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अगर 10 मार्च के पहले हमारी बातों को सरकार नहीं मानती है तो 10 मार्च को मोतिहारी के गांधी मैदान में लाखों की संख्या में किसान बैठक करेंगे और कलेक्टर के माध्यम से सरकार तक अपनी बातों को पहुंचाएंगे. 

हम किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देंगे, इसके लिए जो अंजाम भुगतना पड़े. हमारी दूसरी मांग है कि कृषि कार्य भुगतान मनरेगा से किया जाए, जो कागज नष्ठ हो चुके हैं या कलेक्टर के पास नहीं है, वह कागज गांव में आमसभा लगाकर अंचला अधिकारी और कर्मचारी के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए.(सचिन पांडेय की रिपोर्ट)

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