
हरियाणा के सोनीपत में किसानों ने खनौरी पर चलने वाले किसान आंदोलन को समर्थन दिया है. पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर महीनों से किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है. इन किसानों ने फसलों के लिए एमएसपी गारंटी कानून की मांग उठाई है. इसे लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत चल रही है. 14 फरवरी को एक दौर की बात हुई है जबकि 22 फरवरी को फिर बात होनी है. उससे पहले किसानों ने कहा है कि मीटिंग में अगर सरकार एमएसपी कानून की मांग मान ले तो धरने पर बैठे किसान घर लौट जाएंगे.
पिछले साल जब पंजाब की सीमाओं से किसान हरियाणा में प्रवेश करके दिल्ली कूच कर रहे थे, तब बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ था. उसमें एक युवा किसान शुभकरण की गोली लगने से मौत हो गई. किसानों ने शुक्रवार को उसकी पहली बरसी मनाई. उसकी बरसी पर सोनीपत अनाज मंडी स्थित किसान भवन में कई किसान श्रद्धांजलि देने पहुंचे. इन किसानों ने शनिवार को होने वाली बैठक पर कहा कि हमें उम्मीद है कि कल सरकार हमारी मांगें मान लेगी और एमएसपी गारंटी कानून से कम कुछ नहीं चाहिए.
सोनीपत अनाज मंडी में किसानों ने शुभकरण को याद किया और उसके अमर होने के नारे लगाए. किसानों ने कहा कि सरकार किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन पर भी कोई ध्यान नहीं दे रही है. सरकार में आने से पहले पीएम मोदी एमएसपी की बात करते थे और अब वो पीछे हट रहे हैं. अगर हमारी मांगें पूरी नहीं होगी तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा. हम भी नेताओं से कड़े कदम उठाने की बात कर रहे हैं.
बरसी में शामिल हुए किसानों ने कहा कि 13 महीने के आंदोलन के बाद तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराया गया. फिर एमएसपी की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं. एक साल से अधिक समय हो गया जब किसान खनौरी मोर्चे पर अपनी मांगों को लेकर बैठे हुए हैं. किसानों ने कहा कि 22 फरवरी की मीटिंग भी सकारात्मक और अच्छे माहौल में होनी चाहिए. सरकार उनकी 13 जायज मांगों को माने.
जगजीत सिंह डल्लेवाल का तीन महीने से अनशन चल रहा है. 22 फरवरी की मीटिंग में वे शामिल होंगे या नहीं, इस बारे में एक किसान नेता ने कहा कि उनके गए बिना मीटिंग का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इस आंदोलन को उनसे ज्यादा कोई नहीं जानता. किसानों ने कहा कि उनकी मंशा यही है कि एमएसपी कानून का मसला सुलझे और किसान भी अपने घर जाए और सरकार भी अपना काम करे.
किसान ने कहा कि सरकार की सर्वदलीय कमेटी ने कहा है कि किसानों को एमएसपी मिलनी चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि एमएसपी मिलनी चाहिए. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि किसानों को एमएसपी कानून मिलना चाहिए क्योंकि कमेटी में ज्यादातर सदस्य बीजेपी के ही हैं. किसानों की 12-13 मांगें है जिनमें कोई मांग गलत नहीं है. एक किसान ने कहा कि कल सरकार अगर एमएसपी कानून की घोषणा करे तो परसों किसान अपने घरों की ओर निकल जाएंगे. अगर सरकार मांग नहीं मानती है तो सोनीपत के किसान और ताकत लगाकर विरोध प्रदर्शनों में शामिल होंगे और दिल्ली कूच पर निकलेंगे.
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