पिछले साल 14 फरवरी से शुरू हुए किसान आंदोलन 2.0 को एक साल एक महीने का समय पूरा हो चुका है. इस बीच, 26 नवंबर 2024 से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 109 दिन से दातासिंहवाला-खनौरी किसान मोर्चे पर जारी है. MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर आज 15 मार्च को कर्नाटक के बेंगलुरू में और 16 मार्च को तमिलनाडु के तनकाशी में प्रदेश स्तरीय किसान सम्मेलन होंगे, जिनमें संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) का राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल भाग लेगा.
21 मार्च को राजस्थान के श्रीगंगानगर और 22 मार्च को हरियाणा के फतेहाबाद में MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर प्रदेश स्तरीय सेमिनार आयोजित किए जाएंगे, जिनकी तैयारियां जोर-शोर से जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने संयुक्त रूप से प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर 17 मार्च को दोनों आंदोलनरत मोर्चों का साझा सम्मेलन चंडीगढ़ में होगा.
इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में कृषि विशेषज्ञ भी शामिल होंगे. 23 मार्च को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के शहादत दिवस पर सभी किसान मोर्चों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. मालूम हो कि 19 नवंबर को उक्त दोनों मोर्चों और केंद्र सरकार में 7वें दौर की बातचीत होगी. इससे पहले इस साल दो बैठकें 14 फरवरी और 22 फरवरी को हुईं, जो बेनतीजा रहीं, लेकिन सरकार ने किसान संगठनों से डेटा मांगा और इसका मिलान करने की बात कही.
हाल ही में किसान यूनियनों ने बताया कि उन्हाेंने सरकार को उक्त डेटा सौंप दिया है. ऐसे में संभावना है कि मीटिंग की तारीख तक सरकार इस डेटा का मिलान कर लेगी. 13 महीनों से जारी इस आंदोलन में केंद्र और यूनियनों के बीच चार मीटिंग साल 2024 में हुई थीं, तब भी कोई बात नहीं बनी थी. आंदोलनरत किसान यूनियन सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गांरटी समेत 13 मांगों को लेकर खनौरी और शंभू बॉर्डर पर डटे हुए है.
पिछले महीने हुई मीटिंग में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि अच्छे माहौल में बातचीत हुई और अब यह आगे भी जारी रहेगी. मीटिंग के बाद किसानों ने भी 25 फरवरी का दिल्ली कूच का प्लान रद्द कर दिया था. अब अगली बैठक 19 मार्च को होगी.
वहीं, बीते दिनों पंजाब सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) में टकराव की स्थिति देखने को मिली, जिसके बाद संगठन से जुड़े किसान नेताओं पर पुलिस एक्शन लिया गया और उन्हें हिरासत में लिया गया और कुछ को घर में नजरबंद किया गया.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने पंजाब सरकार के इस कदम की निंदा की थी और किसान नेताओं को रिहा करने की मांग की थी. मालूम हो कि केंद्र के साथ होने वाली बैठक में पंजाब के मंत्री भी शामिल हो रहे हैं, ऐसे में संभावना है कि दोनों मोर्चे इस बारे में भी उनसे बात करें.
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