संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा का मानना है कि खेती से जुड़ी समस्याओं का हल सिर्फ बातचीत और बैठकों के जरिए ही निकल सकता है. किसान संगठन हमेशा से शांतिपूर्ण बातचीत के लिए तैयार रहे हैं. 19 मार्च 2025 को चंडीगढ़ में एक शांतिपूर्ण माहौल में केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बैठक हुई थी. बैठक के बाद अगली मीटिंग की तारीख 4 मई 2025 तय की गई थी. लेकिन 19 मार्च की बैठक के खत्म होने के तुरंत बाद जो हुआ, उसने सभी किसानों को चौंका दिया और दुखी भी किया.
किसान नेताओं का कहना है कि बैठक के बाद पंजाब सरकार ने धोखे से कई किसान नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसके साथ ही शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलनों को जबरदस्ती और हिंसक तरीके से खत्म किया गया. किसानों का कहना है कि यह कार्रवाई किसानों के स्वाभिमान पर हमला है और इससे पूरे देश के किसानों में गुस्सा है.
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किसान संगठनों ने यह भी कहा कि 19 मार्च की बैठक केंद्र सरकार के लिखित निमंत्रण पर हुई थी. ऐसे में किसानों की सुरक्षा और उनके साथ न्याय करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी थी. लेकिन इसके उलट, पंजाब सरकार की कार्रवाई से किसानों की भावनाएं आहत हुई हैं.
किसान संगठन अब केंद्र सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि 4 मई को होने वाली अगली बैठक में पंजाब सरकार के किसी भी प्रतिनिधि को शामिल न किया जाए. अगर पंजाब सरकार के लोग बैठक में मौजूद रहे, तो मजबूरी में किसान संगठनों के प्रतिनिधि उस बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे.
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किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि इस विषय पर जल्द से जल्द फैसला लेकर उन्हें पत्र के माध्यम से जानकारी दी जाए. इससे किसान आगे की रणनीति तय कर सकेंगे.
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