सुप्रीमकोर्ट का आदेश, कल तक चुनावी बांड डिटेल्स जारी करे SBI, चुनाव आयोग 15 मार्च को करेगा सार्वजनिक

सुप्रीमकोर्ट का आदेश, कल तक चुनावी बांड डिटेल्स जारी करे SBI, चुनाव आयोग 15 मार्च को करेगा सार्वजनिक

चुनावी बांड डिटेल्स को सार्वजनिक करने के मामले में देरी कर रहे स्टेट बैंक को सुप्रीमकोर्ट ने झटका देते हुए कल शाम तक खुलासा करने का आदेश दिया है. एसबीआई की डिटेल्स को चुनाव आयोग इकट्ठा करेगा और इसे 15 मार्च शाम 5 बजे तक सार्वजनिक करेगा. बता दें कि एसबीआई ने इस मामले में कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा था. 

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सुप्रीमकोर्ट का आदेश, कल तक चुनावी बांड डिटेल्स जारी करे SBI, चुनाव आयोग 15 मार्च को करेगा सार्वजनिक सुप्रीमकोर्ट ने फरवरी में चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया था.

चुनावी बांड डिटेल्स को सार्वजनिक करने के मामले में देरी कर रहे स्टेट बैंक को सुप्रीमकोर्ट ने झटका देते हुए कल शाम तक खुलासा करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने अपने आदेश में कहा कि एसबीआई 12 मार्च को कामकाजी समय में सभी डिटेल्स का खुलासा करे. एसबीआई की डिटेल्स को चुनाव आयोग इकट्ठा करेगा और इसे 15 मार्च शाम 5 बजे तक सार्वजनिक करेगा. बता दें कि एसबीआई ने इस मामले में कोर्ट से अतिरिक्त समय मांगा था. 

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया सुनवाई के दौरान एसबीआई की दलील को खारिज करते हुए 12 मार्च को कामकाजी समय में चुनावी बांड का ब्यौरा जारी करने को कहा है. इसके अलावा सुप्रीमकोर्ट ने चुनाव आयोग को 15 मार्च तक SBI की ओर से साझा की गई जानकारी को प्रकाशित करने का निर्देश दिया है. इससे पहले सुनवाई के दौरान एसबीआई के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से डिटेल्स जारी करने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था. 

सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा कि कोर्ट ने SBI को बॉन्ड की खरीद की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं, जिसमें खरीदारों के साथ-साथ बॉन्ड की कीमत जैसी जानकारी शामिल है. साल्वे ने सुनवाई के दौरान कहा कि इसके अलावा राजनीतिक दलों का विवरण, पार्टियों को कितने बॉन्ड मिले यह जानकारी भी देना है.

याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझा और SBI को कल तक सभी दस्तावेज जमा करने के कड़े निर्देश दिए हैं. यह बहुत अच्छा फैसला है, मैं इसका स्वागत करती हूं.

सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद यह पता चलना साफ हो गया है कि चुनावी बांड के जरिए किस पार्टी को कितना चंदा मिला और किस व्यक्ति या कंपनी ने कितना चंदा दिया है. आरोप लगाए गए थे कि इस योजना के जरिए फर्जी तरीके से जमकर राजनीतिक दलों को चंदा दिया गया है. इससे पहले फरवरी में मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने चुनावी बांड योजना को असैंवाधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था.

केंद्र सरकार 2 जनवरी 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना लेकर आई थी. तब केंद्र ने कहा था कि पारदर्शिता के लिए चुनावी बॉन्ड जरूरी है. इससे काले धन पर रोक लगेगी. हालांकि, योजना पर चुनाव आयोग का कहना रहा है कि इससे पारदर्शिता खत्म होगी और फर्जी कंपनियां खुलेंगी. योजना पर इसकी शुरुआत से ही बहस छिड़ी रही है और बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था.

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