किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को दल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया है. डल्लेवाल 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं. जस्टिस सूर्यकांत और सुधांशु धूलिया की बेंच ने मामले की सुनवाई की और पंजाब सरकार को फटकार लगाई.
कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि किसान नेता डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं कराया जा रहा है, इस पर सरकार की ओर से महाधिवक्ता (एजी) गुरमिंदर सिंह ने जवाब दिया कि खनौरी मोर्च पर डटे हुए किसानों ने डल्लेवाल को घेरे रखा है. उन्हें प्रदर्शनकारी किसानों से भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है.
पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने बेंच को बताया कि विशेषज्ञों की एक टीम ने विरोधस्थल का दौरा किया और डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने और चिकित्सा सहायता लेने के लिए मनाने की कोशिश की. डल्लेवाल ने आंदोलन का उद्देश्य कमजोर होने की बात कहते हुए (आईवी) ड्रिप सहित किसी भी तरह का इलाज लेने से इनकार कर दिया है.
इस पर बेंच ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आप ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. बेंच ने कहा कि जो किसान नेता डल्लेवाल को अस्पताल नहीं ले जाने दे रहे हैं, वे आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध में शामिल हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को स्थिति के अनुसार केंद्र से किसी भी तरह की रसद सहायता मांगने की अनुमति दी और उम्मीद जताई कि राज्य सरकार डल्लेवाल को अस्पताल ले जाने के कोर्ट के निर्देश का पालन करेगी.
पीठ ने कहा कि डल्लेवाल कुछ साथियों के दबाव में हैं और जो किसान नेता उन्हें अस्पताल नहीं ले जाने दे रहे हैं, वे उनके शुभचिंतक नहीं लगते. पीठ ने कहा, 'क्या उन्हें उनकी जिंदगी में दिलचस्पी है या कुछ और? हम ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहते और सिर्फ यही उम्मीद करते हैं कि पंजाब सरकार हमारे निर्देशों का पालन करेगी.
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने डल्लेवाल की हालत पर चिंता जताते हुए पंजाब सरकार को निर्देश दिया था कि वह सुनिश्चित करे कि उन्हें चिकित्सा सहायता दी जाए. अदालत ने पंजाब सरकार को उसके मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के खिलाफ अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के निर्देश देने वाले आदेश का पालन न करने के लिए कहा गया था. (पीटीआई)
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