अमृतसर-कोलकाता कॉरिडोर प्रोजेक्‍ट मामला: मुआवजे के चेक बाउंस होने से किसान भड़के 

अमृतसर-कोलकाता कॉरिडोर प्रोजेक्‍ट मामला: मुआवजे के चेक बाउंस होने से किसान भड़के 

यह एक अहम डेवलपमेंट प्रोजेक्‍ट है जिसका एक बड़ा हिस्सा पंजाब से होकर गुजरता है. प्रोजेक्‍ट के एक हिस्‍से के रूप में खासतौर पर राजपुरा-पटियाला में एक इंटीग्रेटेड मैन्‍युफैक्‍चरिंग क्लस्टर का निर्माण किया जा रहा है. मार्च में पांच गांवों में अधिग्रहित करीब 61 एकड़ भूमि के भुगतान के तौर पर जारी किए गए चेक अब तक तीन बार बाउंस हो चुके हैं. इससे प्रभावित किसान नाराज और आर्थिक रूप से परेशान हैं.

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अमृतसर-कोलकाता कॉरिडोर प्रोजेक्‍ट मामला: मुआवजे के चेक बाउंस होने से किसान भड़के किसानों को अभी तक नहीं मिला है मुआवजा

अमृतसर-कोलकाता इंडस्‍ट्रीयल कॉरिडोर (एकेआईसी) भारत सरकार का एक महत्‍वपूर्ण इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर प्रोजेक्‍ट है. इस प्रोजेक्‍ट को देश के उत्‍तरी और पूर्वी क्षेत्रों में इंडस्‍ट्रीयल डेवलपमेंट को बढ़ाने के मकसद से शुरू किया गया था. लेकिन अमृतसर, दिल्ली और कोलकाता को जोड़ने वाला यह कॉरिडोर अब किसानों के गुस्‍से को झेलने का मजबूर है.  प्रोजेक्‍ट के तहत कई किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है. इस अधिग्रहित जमीन के लिए पंजाब अर्बन प्‍लानिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीयूडीए) की तरफ से किसानों के लिए मुआवजे का जो चेक जारी किया गया, वह कई बार बाउंस हो चुका है. इसके बाद से ही पटियाला में किसान आंदोलन पर उतर आए हैं. 

पांच गांवों की 61 जमीन सरकार के पास 

एकेआईसी एक अहम डेवलपमेंट प्रोजेक्‍ट है जिसका एक बड़ा हिस्सा पंजाब से होकर गुजरता है. प्रोजेक्‍ट के एक हिस्‍से के रूप में खासतौर पर राजपुरा-पटियाला में एक इंटीग्रेटेड मैन्‍युफैक्‍चरिंग क्लस्टर का निर्माण किया जा रहा है. इस क्‍लस्‍टर का मकसद ई-मोबिलिटी, फूड प्रोसेसिंग और बाकी क्षेत्रों में इनवेस्‍टमेंट को बढ़ाना और रोजगार के मौके मुहैया कराना है. अखबार हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार मार्च में पांच गांवों में अधिग्रहित करीब 61 एकड़ भूमि के भुगतान के तौर पर जारी किए गए चेक अब तक तीन बार बाउंस हो चुके हैं. इससे प्रभावित किसान नाराज और आर्थिक रूप से परेशान हैं. पीयूडीए की तरफ से भूमि पर कब्‍जा कर लिए जाने के बावजूद, किसानों को मुआवजा मिलने में कई मु‍श्किलों का सामना करना पड़ रहा है. 

तीन बार बाउंस हुआ चेक 

पबरा गांव के किसान रणधीर सिंह ने इस पर दुख जाहिर किया है. उन्‍होंने कहा, 'पीयूडीए की तरफ से मुझे दिया गया चेक तीन बार बाउंस हो चुका है. मैंने कल इसे फिर से जमा करने की कोशिश की और एक बार फिर इसे रिजेक्‍ट कर दिया गया है.  यह उत्पीड़न से कम नहीं है. पहले तो उन्होंने हमारी जमीन ले ली और अब वो हमें भुगतान करने से इनकार कर रहे हैं.'  उन्होंने कहा कि अधिकारियों से संपर्क करने के उनके प्रयासों को नजरअंदाज कर दिया गया है. एक और पीड़ित किसान ने भी यही बात कही कि उनका चेक बाउंस हो गया. उनका कहना था, 'हमारी जमीन सरकार के पास है. अब हम क्या करें? हम कहां जाएं?'

अधिकारी बोले, बैंक की तकनीकी गलती 

 बीकेयू (एकता भटेरी कलां) के किसान नेता गुरधियान सिंह ने स्थिति की निंदा करते हुए इसे सरासर उत्पीड़न बताया है.  उन्होंने कहा, 'हम पटियाला के डिप्‍टी कमिश्‍नर से मिलेंगे. सरकार को मुआवजा देने के लिए जल्दी से जल्दी काम करना चाहिए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.' वहीं पीयूडीए के कलेक्टर संजीव कुमार ने इस मुद्दे को 'बैंक की ओर से तकनीकी गड़बड़ी' बता डाला है. उनका कहना था कि पैसे की कोई कमी नहीं है. इस मुद्दे पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही इसका समाधान कर दिया जाएगा. 

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