केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, भाजपा के पंजाब प्रभारी सुनील जाखड़ और संगठन प्रमुख अश्विनी शर्मा आज जालंधर पहुंचे और बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेजी जाने वाली राहत सामग्री से भरे ट्रकों को हरी झंडी दिखाई. इस दौरान उन्होंने एक निजी होटल में मीडिया को भी संबोधित किया. उन्होंने राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार पर जमकर आरोप लगाए. उन्होंने राज्य सरकार पर किसान निधि समेत अन्य हिस्सों में धांधली का आरोप लगाया.
केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने कहा- प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1600 करोड़ रुपये तत्काल राहत पैकेज नहीं है, बल्कि यह मुख्य रूप से प्राथमिक कार्यों और खर्चों को चलाने के लिए दिए गए संसाधन हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र की नीतियों के जरिए प्रधानमंत्री को पंजाब से दूर रखने की कोशिश की जा रही है और यह उसी का तरीका है.
पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा, "जब बाढ़ का पानी उतरेगा, तब असल नुकसान का पता चलेगा. हम बहुत मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं. यह राजनीति करने का समय नहीं है, लेकिन आज मैं सिर्फ़ पंजाब के मुख्यमंत्री को याद दिलाने आया हूं कि आपको ज़िम्मेदारी से भागना नहीं चाहिए. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं."
जाखड़ ने आगे कहा कि भगवंत मान ने कहा था कि 60 हज़ार करोड़ बकाया है. सीएम को 8 और 60 हज़ार करोड़ का फ़र्क़ ही नहीं पता. केंद्र को जो मांग पत्र दिया गया था, उसमें प्रतीकात्मक बातें दिखाई गई थीं. जिन चीज़ों के टेंडर भी नहीं बुलाए गए, उनका पैसा भी जोड़कर पैसा दिखाया जा रहा है.
जाखड़ ने कहा- जिसके आधार पर राज्य सरकार 60 हज़ार रुपये दबाए बैठी है. यह सरकार के गैरज़िम्मेदाराना रवैये को दर्शाता है. जाखड़ ने कहा- सीएम मान को इलाज के लिए अस्पताल में ही रहना चाहिए था. क्योंकि सरकार तो वैसे भी अरविंद केजरीवाल ही चला रहे हैं. केंद्र से पैसे लेने को लेकर हर नेता और अधिकारी के अलग-अलग बयान हैं. यह सरकार का गैरज़िम्मेदाराना रवैया है.
जाखड़ ने कहा- सीएम ने कहा था कि हमारे पास आपदा प्रबंधन के लिए पैसा है और हम उसका इस्तेमाल करेंगे. लेकिन अब सीएम फिर से आपदा के लिए पैसा मांग रहे हैं. फिर भी हमारी सरकार ने तुरंत प्रभाव से राज्य सरकार को लगभग 1600 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की.
हमें तरस आता है कि पंजाब सरकार कैसे लोगों के हाथों में चली गई है. जाखड़ ने कहा- सीएम मान को अपने मंत्रियों के नाम तक नहीं पता होंगे और न ही उन्हें यह पता होगा कि किस मंत्री के पास कौन सा विभाग है और उस विभाग में क्या काम होता है.
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