Farmer Protest: इस जिले में दिखा 'बंद' का असर, हाथ जोड़कर सरकारी दफ्तर पहुंचे किसान, सरकार को दी चेतावनी

Farmer Protest: इस जिले में दिखा 'बंद' का असर, हाथ जोड़कर सरकारी दफ्तर पहुंचे किसान, सरकार को दी चेतावनी

ओडिशा के संबलपुर में धान की तेज खरीद की मांग को लेकर किसानों के बंद का असर दिखा. बाजार, बैंक और दफ्तर बंद रहे. आंदोलन शांतिपूर्ण रहा. किसान टोकन न मिलने से नाराज हैं, जबकि प्रशासन ने खरीद में सुधार का दावा किया है.

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इस जिले में दिखा 'बंद' का असर, हाथ जोड़कर सरकारी दफ्तर पहुंचे किसान, सरकार को दी चेतावनीसंबलपुर में सफल रहा बंद (सांकेतिक तस्‍वीर)

ओडिशा के संबलपुर जिले में शुक्रवार को किसानों के बंद का असर साफ तौर पर देखने को मिला. धान की तेज और सुचारु खरीद की मांग को लेकर किसानों ने सुबह से शाम तक बंद बुलाया, जिसकी वजह से आम जनजीवन काफी हद तक प्रभावित रहा. हालांकि, राहत की बात यह रही कि बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और किसी भी तरह की अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली. यह बंद संबलपुर जिला कृषक सुरक्षा संगठन के आह्वान पर किया गया था, जो जिले के किसानों का एक प्रमुख संगठन है. 

समूह में हाथ जोड़े सरकारी दफ्तर पहुंचे किसान

बंद के दौरान किसानों ने आक्रामक प्रदर्शन की जगह शांतिपूर्ण तरीका अपनाया. कई किसान समूहों में बंटकर सरकारी दफ्तरों में पहुंचे और हाथ जोड़कर अधिकारियों से अपनी समस्याएं सुने जाने की अपील की. किसानों ने कहा कि वे टकराव नहीं चाहते, बल्कि अपनी बात शांति से सरकार तक पहुंचाना चाहते हैं. किसानों के इस बंद को आम लोगों और अधिकारियों का भी अच्छा सहयोग मिला. प्रदर्शन में शामिल किसान प्रफुल्ल ने कहा कि लोगों ने उनकी मांगों को समझा और समर्थन दिया.

उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों का रवैया भी सहयोगात्मक रहा, जिससे बंद बिना किसी तनाव के संपन्न हो सका. बंद के चलते संबलपुर शहर में सरकारी और निजी कार्यालय, बैंक, वित्तीय संस्थान, दुकानें, बाजार, मॉल और शोरूम बंद रहे. कई इलाकों में सन्नाटा पसरा रहा. किसान शहर के अलग-अलग हिस्सों में शांतिपूर्वक धरना और पिकेटिंग करते नजर आए.

ग्रामीण इलाकों में भी दिखा बंद का असर

वहीं ग्रामीण इलाकों में भी बंद का असर दिखा और सामान्य गतिविधियां धीमी रहीं. हालांकि, किसानों ने जरूरी सेवाओं को बंद से बाहर रखा. एंबुलेंस, आपात सेवाएं और जरूरी कामों के लिए वाहनों की आवाजाही जारी रही. इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे सेवाओं को भी बंद के दायरे में नहीं लाया गया और कहीं भी सड़क या रेल रोको आंदोलन नहीं किया गया.

पश्चिम ओडिशा कृषक संगठन समन्वय समिति के सह-संयोजक अशोक प्रधान ने कहा कि बंद को जिले भर में अच्‍छा समर्थन मिला. संबलपुर की 50 से ज्यादा सामाजिक संस्थाओं ने किसानों के आंदोलन का साथ दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने किसानों की मांगों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया तो आगे आंदोलन का स्वरूप तय किया जाएगा.

धान खरीद से जुड़ी समस्‍याओं पर रखी मांग

किसानों की मुख्य मांग धान खरीद से जुड़ी समस्याओं का स्थायी समाधान है. उन्‍होंने कहा कि 28 नवंबर से खरीफ धान की खरीद शुरू हो चुकी है, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में किसानों को टोकन नहीं मिले हैं. टोकन के बिना किसान सरकारी मंडियों में अपनी उपज नहीं बेच पा रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है.

इस बीच, जिला कलेक्टर सिद्धेश्वर बलिराम बोंदर ने गुरुवार को जिले के कई धान खरीद केंद्रों का दौरा किया. उन्होंने खरीफ विपणन सत्र 2025-26 के तहत चल रही खरीद प्रक्रिया की समीक्षा की और मंडियों के कामकाज का जायजा लिया. प्रशासन का दावा है कि इस साल धान खरीद में पिछले साल की तुलना में सुधार हुआ है. 

आंकड़ों के अनुसार, जहां पिछले खरीफ मार्केटिंग सत्र में 60,359 किसान रजिस्‍टर्ड थे, वहीं, इस बार यह संख्या बढ़कर 65,143 हो गई है. 18 दिसंबर तक इस सत्र में 20,809 किसानों से करीब 9,61,560 क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है. पिछले साल इसी अवधि में 14,896 किसानों से 8,86,190 क्विंटल धान खरीदा गया था. टोकन प्रणाली के तहत इस सत्र में अब तक 73,437 टोकन जारी किए गए हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 74,786 थी. (पीटीआई)

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