
फार्मर आईडी (Farmer Registry/ID): साल 2025 में किसानों की डिजिटल पहचान को मजबूत करने के लिए Farmer ID पर बड़ा जोर दिया गया. इसके तहत किसानों का जमीन, फसल और योजना से जुड़ा डेटा एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया. सरकार का मानना है कि इससे सब्सिडी, बीमा और योजनाओं का लाभ सही किसान तक पहुंचेगा. यह पहल डिजिटल कृषि मिशन (Digital Agriculture Mission) का अहम हिस्सा रही.

पीएम धन-धान्य कृषि योजना (PM Dhan-Dhaanya Krishi Yojana): केंद्र सरकार ने 2025 में पीएम धन-धान्य कृषि योजना (PM Dhan-Dhaanya Krishi Yojana) की शुरुआत की. इस योजना के तहत 100 ऐसे जिलों को चुना गया, जहां कृषि उत्पादकता कम है. योजना का उद्देश्य सिंचाई, बीज, क्रेडिट और मार्केटिंग में सुधार करना है. यह योजना केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से लागू की जा रही है.

कृषि उत्पादों और मशीनों पर GST कटौती: 2025 में कई कृषि मशीनों और उपकरणों पर GST दरों में कटौती की गई. ट्रैक्टर, ड्रिप सिंचाई और फार्म इक्विपमेंट पर टैक्स घटने से लागत कम हुई. सरकार का तर्क है कि इससे किसानों को आधुनिक मशीनें अपनाने में मदद मिलेगी. इसे खेती की लागत घटाने वाला सुधार माना गया. वहीं, कई कृषि उत्पादों पर भी जीएसटी घटने और हटने से आम उपभोक्ताओं को फायदा हुआ. सरकार ने इसे मांग बढ़ाने और महंगाई घटाने वाल कदम बताया.

विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA 2025): 2025 में देशभर में खरीफ सीजन के दौरान विकसित कृषि संकल्प अभियान Viksit Krishi Sankalp Abhiyan चलाया गया. इस अभियान में हजारों कृषि वैज्ञानिक, KVK और कृषि अधिकारी सीधे गांवों तक पहुंचे और करोड़ों किसानों को नई तकनीक, उन्नत बीज और जलवायु अनुकूल खेती की जानकारी दी. इसका उद्देश्य लैब से खेत तक तकनीक पहुंचाना रहा.

पीएम किसान योजना सैचुरेशन ड्राइव (PM-KISAN Saturation Drive): पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत सभी पात्र किसानों को जोड़ने पर फोकस किया गया. e-KYC और आधार लिंकिंग को अनिवार्य बनाया गया. योजना 2019 से चल रही है और 2025 में सैचुरेशन ड्राइव तेज हुई और लाखाें की संख्या में किसानों को योजना से लाभांवित किया गया. योजना के तहत किसानों को सालाना तीन समान किस्तों में 6 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है.

Seeds Bill और Pesticide Bill: 2025 में नए New Seeds Bill और Pesticide Bill पर चर्चा तेज रही. इनका उद्देश्य नकली बीज और फर्जी कीटनाशकों पर रोक लगाना है. सरकार 2026 में इन्हें लागू करने की तैयारी में लगी है. हालांकि, ज्यादातर किसान संगठन सरकार की ओर से जारी ड्राफ्ट बिल के खिलाफ नजर आए. इन दोनों बिलों को बजट सत्र में पेश किए जाने की बात कही जा रही है.

जलवायु स्मार्ट खेती (Climate Smart Agriculture): 2025 में जलवायु अनुकूल खेती पर नीति स्तर पर जोर बढ़ा. सूखा, बाढ़ और तापमान जोखिम को देखते हुए नई रणनीतियां बनाई गई. माइक्रो इरिगेशन और सहनशील किस्मों को बढ़ावा दिया गया और मौसम आधारित सलाह सिस्टम को मजबूत किया गया.

किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organizations): 2025 में FPOs को मजबूत करने पर खास ध्यान दिया गया. छोटे किसानों को संगठित कर बाजार से जोड़ा गया. क्रेडिट, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग सपोर्ट बढ़ाया गया. सरकार ने इसे किसानों की सौदेबाजी शक्ति बढ़ाने वाला कदम बताया.

2025 में कृषि निर्यात के नए अवसर तलाशे गए. चावल, मसाले और फलों के निर्यात पर फोकस रहा. कुछ फसलों पर पाबंदियां हटीं तो गुणवत्ता नियम सख्त हुए. निर्यात को किसानों की आय बढ़ाने से जोड़ा गया.

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 (International Year of Cooperatives 2025): संयुक्त राष्ट्र ने साल 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (International Year of Cooperatives) घोषित किया. इस साल भारत में सहकारिता मॉडल पर नीति स्तर पर चर्चा बढ़ी. डेयरी, PACS और FPOs को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया गया और सहकारिता को नई पहचान मिली.

2025 में Amul दुनिया की नंबर एक सहकारी संस्था बनी. इसने वैश्विक रैंकिंग में IFFCO को पीछे छोड़ा. इसे भारतीय सहकारिता मॉडल की बड़ी सफलता माना गया, जो डेयरी किसानों के लिए यह गर्व का पल रहा.

2025 में भारत ने कई देशों के साथ FTA पर बातचीत आगे बढ़ाई. सरकार ने इसे कृषि निर्यात के अवसर के रूप में पेश किया. कुछ फसलों में किसानों ने चिंता भी जताई. इस क्रम में भारत ने न्यूजीलैंड और कुछ अन्य देशो के साथ फ्री ट्रेड डील साइन की है. इनमें कुछ कृषि उत्पादों का आयात-निर्यात शामिल है. हालांकि, सरकार का कहना है कि आयात से देश के किसानों को नुकसान नहीं होगा.

2025 में चीनी नियंत्रण आदेश (Sugar Control Order) के तहत चीनी बाजार पर निगरानी बढ़ाई गई है. इस आदेश को लाकर स्टॉक, बिक्री और सप्लाई पर सख्ती की गई है. इसका उद्देश्य कीमत स्थिरता और समय पर गन्ना भुगतान सुनिश्चित करना है, और इसे शुगर सेक्टर के लिए बैलेंसिंग कदम माना जा रहा है.

2025-26 सीजन के लिए गन्ने का FRP बढ़ाया गया. नई दर 355 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई. इसमें पहले के मुकाबले 15 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. इससे गन्ना किसानों की न्यूनतम आय सुरक्षा मजबूत हुई है.

2025 में दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत की गई. इसका कुल बजट 11,440 करोड़ रुपये रखा गया है. मिशन की अवधि 2025-26 से 2030-31 तक तय है और इसके तहत तूर, उड़द और मसूर पर MSP खरीद और बीज सहायता पर फोकस है.
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