पशुपालन भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक मजबूत आधार है. यह न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि रोजगार, पोषण और कृषि विकास से भी सीधा जुड़ा है. गाय, भैंस, बकरी या मुर्गी पालन करके युवा न सिर्फ खुद के लिए रोजगार बना सकते हैं.
बल्कि दूसरों को भी काम दे सकते हैं. सरकार कई योजनाओं के जरिए पशुपालन को प्रमोट भी कर रही है. अगर आप नवंबर महीने में पशुपालन की शुरुआत करने जा रहे हैं तो खास बातों का ध्यान रखना होगा. आइए जान लेते हैं.
पशुओं का शेड बेहतर करें: नवंबर महीने से हल्की सर्दी की शुरुआत होती है, इसलिए पशुओं को ठंडी हवा और नमी से बचाना बहुत जरूरी है. पशुओं को बांधने वाली जगह (शेड) को सूखा, हवादार और गर्म रखें.
सही खान-पान का ध्यान रखें: मौसम बदलने और सर्दी का मौसम आते ही पशुओं का पाचन थोड़ा कमजोर होने लगता है. इसलिए सर्दी के मौसम में पशुओं को हरा चारा, दाना और साफ पानी पशुओं की जरूरत है, इसके अलावा महीने में कम से कम दो बार सरसों का तेल पिलाएं.
टीकाकरण और स्वास्थ्य की जांच कराएं: सर्दी में गलघोटू, लम्पी या खुरपका-मुंहपका जैसी कई बीमारियां फैल सकती हैं. नवंबर में पशुओं का टीकाकरण और नियमित जांच करवाना बहुत जरूरी है. इसलिए समय-समय पर पशु चिकित्सक की सलाह लें.
पशुओं का बाड़ा यानी उनको बांधने वाला स्थान उनके स्वास्थ्य और उत्पादन पर सीधा असर डालता है. एक अच्छा बाड़ा साफ, सूखा और हवादार होना चाहिए ताकि पशुओं को संक्रमण और कीटों से बचाया जा सके. गर्मी में ठंडक और सर्दी में गर्माहट का ध्यान रखना जरूरी है.
बाड़े में पर्याप्त रोशनी, पानी की व्यवस्था और आरामदायक जगह होनी चाहिए. पशुओं के गोबर और मूत्र की सफाई के लिए एक आदमी हमेशा मौजूद होना चाहिए जो गंदगी होते ही तुरंत साफ करे ताकि दुर्गंध और रोग न फैलें.
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