फसल से अच्छी उपज पाने के लिए किसान उन्नत किस्मों के साथ-साथ उर्वरकों का भी इस्तेमाल करते हैं. उर्वरक किसानों को फसल की उपज और उत्पादकता दोनों बढ़ाने में मदद करते हैं. यही वजह है कि आज के समय में किसानों की उर्वरकों पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है. जिसके कारण किसानों का खर्च भी काफी बढ़ गया है. इस खर्च को कम करने के लिए सरकार अब किसानों को आधे दामों पर उर्वरक दे रही है.
सरकार ने देश के करोड़ों किसानों को राहत देने हुए एक बड़ा ऐलान किया है. आपको बता दें सरकार किसानों को बड़ा तोहफा देने जा रही है. सरकार नैनो-उर्वरकों की खरीद पर किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी देने की योजना शुरू करेगी. केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह गुजरात के गांधीनगर में चालू वित्त वर्ष में नैनो-उर्वरकों की खरीद पर किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी देने वाली स्कीम एजीआर-2 की शुरुआत करेंगे.
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि गुजरात के गांधीनगर में एक सम्मेलन में एजीआर-2 योजना की शुरुआत की जाएगी. यह कार्यक्रम 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस और केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के तीसरे स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हाल ही में वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है. इस लिहाज से इस सम्मेलन का अतिरिक्त महत्व है. कार्यक्रम के दौरान, शाह इस योजना के तहत तीन किसानों को सहायता राशि देंगे और नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित 'भारत जैविक गेहूं का आटा' भेंट करेंगे. मंत्री बनासकांठा और पंचमहल जिलों में सहकारिता से संबंधित कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे.
नैनो-उर्वरकों को बढ़ावा देने के लिए 100-दिवसीय कार्य योजना के हिस्से के रूप में, सरकार का लक्ष्य 413 जिलों में नैनो डीएपी (तरल) के 1,270 प्रदर्शन और 100 जिलों में नैनो यूरिया प्लस (तरल) के 200 परीक्षण आयोजित करना है. इस पहल से पर्यावरण के अनुकूल खेती के तरीकों को बढ़ावा मिलने और कृषि क्षेत्र में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आने की उम्मीद है.
भारत में कृषि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और किसानों के लिए खेती आय का मुख्य स्रोत है. हरित क्रांति के समय से बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए तथा आय की दृष्टि से उत्पादन में वृद्धि करना आवश्यक है. अधिक उत्पादन के लिए खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग अधिक मात्रा में करना पड़ता है, जिससे सीमांत एवं छोटे किसानों को छोटी जोत में अधिक लागत आ रही है और जल, भूमि, वायु एवं पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहे हैं तथा खाद्य पदार्थ भी जहरीले होते जा रहे हैं.
इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए पिछले कुछ वर्षों से टिकाऊ खेती के सिद्धांत पर खेती करने की सिफारिश की जा रही है, जिसे राज्य के कृषि विभाग ने लोगों को इस विशेष प्रकार की खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसे हम "जैविक खेती" के नाम से जानते हैं. भारत सरकार भी इस खेती को अपनाने को बढ़ावा दे रही है.
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