बुंदेलखंड को शौर्य और संस्कारों की धरती माना जाता रहा है. यह धरती यूपी का गहना बनने की सामर्थ्य रखती है. इस बात को समझकर यूपी की योगी सरकार ने एक अहम फैसला किया है. इसमें विदर्भ और बुंदेलखंड जैसे देश के सूखा प्रभावित इलाकों की नदियों को जोड़क सूखा मुक्त बनाने की अटल सरकार की स्वप्नदर्शी योजना को अगले 8 साल में जमीन पर उतारा जाएगा. अटल सरकार ने ही River Link Project का खाका तैयार किया था. इसमें बुंदेलखंड की दो बड़ी नदियों, केन और बेतवा को आपस में जोड़कर इस परियोजना की शुरुआत की जानी थी. इसके लगभग दो दशक बाद यूपी में Yogi Government ने इस काम को पूरा करने की तैयारी कर ली है. सरकार का दावा है कि बुंदेलखंड में केन बेतवा को जोड़ने से पूरे इलाके में लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबा सिंचित हो जाएगा. इससे इलाके में लाखों की प्यास भी बुझेगी.
योगी सरकार ने केन बेतवा लिंक परियोजना को लागू करने के Action Plan में समय की मांग के अनुरूप बदलाव किए हैं. सरकार की ओर से बताया गया कि इस परियोजना में पहले सिर्फ ललितपुर, महोबा और झांसी जिलों को ही शामिल किया गया था. मगर, अब जबकि इस परियोजना को लागू करने का पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई का सपना लगभग 2 दशक के इंतजार के बाद पूरा होगा, तब इसमें हमीरपुर जिले को भी जोड़ने का फैसला किया गया है.
ये भी पढ़ें, Climate Change : मौसम के विपरीत हालात से प्रभावित हैं देश के 84 फीसदी जिले, 3 गुना बढ़ गई हीट वेव
गौरतलब है कि बुंदेलखंड में इंडस्ट्री के अभाव के अलावा सबसे बड़ा संकट पानी का ही है. शुद्ध पेयजल और खेतों के लिए सिंचाई के संकट को दूर करने के लिए केन बेतवा लिंक परियोजना शुरू होने से पहले राज्य सरकार ने अर्जुन सहायक नहर के साथ अन्य छोटी और मझोली परियोजनाओं का काम पूरा कर लिया है. इसके अलावा योगी सरकार की 'खेत तालाब योजना' से भी इस इलाके में जमीन की Water Holding Capacity बढ़ी है. इससे सूखे के समय खेतों की सिंचाई और मवेशियों की प्यास भी बुझ रही है.
सरकार का दावा है कि जो इलाके अभी भी सिंचाई और पेयजल संकट से घिरे हैं, उन इलाकों में लोगों और खेतों की प्यास बुझाने में केन बेतवा लिंक परियोजना अहम भूमिका निभाएगी. इसके लिए योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही केंद्र सरकार की पहल पर MP Government के साथ सभी जरूरी मुद्दों पर सहमति कायम कर ली है. इतना ही नहीं, केन बेतवा लिंक परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी करीब तीन साल पहले ही मिल चुकी है. इससे बुंदेलखंड में यूपी के 5 और एमपी के 8 जिलों की तस्वीर बदल जाएगी.
योगी सरकार ने दावा किया है कि दशकों से पेयजल और सिंचाई के संकट का सामना कर रहे बुंदेलखंड के लिए अगले 8 साल में यह परियोजना वरदान साबित होगी. गरीबी जनित पलायन की समस्या से बुंदेलखंड को मुक्ति दिलाने के लिए सरकार ने इस परियोजना को 8 साल में पूरा करने का लक्ष्य तय किया है. सरकार काे भरोसा है कि इसके लागू होने से पूरे क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल के संकट का स्थायी समाधान हो जाएगा.
परियोजना की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसका दायरा बढ़ाने के बाद अब 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई की जद में आएगी. इसके अलावा 62 लाख लोगों को पेयजल संकट से मुक्ति मिलेगी. इस परियोजना के तहत यूपी में 2 बैराज और एमपी की नदियों पर 7 बांध बनाए जाएंगे. इतना ही नहीं, इससे 103 मेगावाट Hydropower और 27 मेगावाट Solar Energy का उत्पादन भी होगा.
बुंदेलखंड में यूपी के बांदा, महोबा, झांसी, हमीरपुर और ललितपुर जिलों को करीब 750 मिलियन क्यूसेक मीटर पानी मिलेगा. इससे इन जिलों की 2.51 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित होगी. इस परियोजना में केन और बेतवा को जोड़ने के लिए जो 221 किमी लंबा एक Link Channel बनाया जाएगा. परियोजना का 21 किमी हिस्सा यूपी में पड़ेगा.
ये भी पढ़ें, Drone Didi : गांव में अपने हुनर का लोहा मनवा कर स्वतंत्रता दिवस समारोह की मेहमान बनी यूपी की 5 दीदियां
इस परियोजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार के साथ दोनों राज्य सरकारों के बीच हुए MOU के तहत यूपी और एमपी सरकारों को इसकी लागत का 5 फीसदी खर्च का वहन करना पड़ेगा. परियोजना की कुल लागत 44,605 करोड़ रुपये है. इस लागत का 90 फीसदी (39,317 करोड़ रुपये) खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.
यूपी के अलावा बुंदेलखंड में शामिल एमपी के जिन जिलों को इस परियोजना के लागू होने से लाभ मिलेगा, उनमें पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा और शिवपुरी जिले शामिल हैं. स्पष्ट है कि एमपी के इन 8 जिलों को इस परियोजना का लाभ मिलने से राज्य के बड़े इलाके को सूखा संकट से निजात मिल सकेगी.
गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संसदीय क्षेत्र विदिशा का बड़ा इलाका बेतवा नदी के बहाव क्षेत्र में आता है. बेतवा, एक वन नदी है और इसका उद्गम एमपी की राजधानी भोपाल के पास रायसेन जिले के झिरी बहेड़ा गांव में विंध्य पर्वत श्रेणी के जंगलों से हुआ है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today